आज बात अमेरिका के एक ऑपरेशन की जो नाकाम हुआ और फिर दुनियाभर में उसे शर्मिंदा होना पड़ा। यहां तक कि इस ऑपरेशन के असफल होने के बाद अमेरिका में एक राष्ट्रपति भी अपनी सत्ता गंवा बैठा। यह बात है ऑपरेशन ईगल क्लॉ की। दरअसल, इस ऑपरेशन की नींव ईरान में साल 1979 में पड़ी थी, क्योंकि इसी साल ईरान में इस्लामिक क्रांति अपने चरम पर थी। ईरान के लोग पहलवी वंश के शाह मोहम्मद रजा का तख्तापलट करना चाहते थे।

उस वक्त लोगों को लग रहा था कि मोहम्मद रजा ईरान को आधुनिक बनाने के चक्कर में उनके हितों का गला घोंट रहे हैं। पहले उन्होंने इस विरोधी स्वर को दबाने की कोशिश की लेकिन जब शाह मोहम्मद रजा के खिलाफ उनके समर्थक हो गए तो वह देश छोड़कर अमेरिका चले गए। अब मुश्किल अमेरिका के लिए थी क्योंकि उसके तेहरान दूतावास पर कब्ज़ा कर अमेरिकियों को बंधक बना लिया गया।

अमेरिका से कहा गया कि वह मोहम्मद रजा को उनके हवाले कर दें लेकिन ताकत के मद में चूर अमेरिका नहीं माना। इस जिद का परिणाम यह रहा कि करीब 444 दिनों तक अमेरिकी लोग राजा के विरोधियों के बंधक बने रहे। हालांकि, इतने दिनों तक अमेरिका हाथ धरे बैठा नहीं रहा, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर समेत कई अधिकारियों ने बात की लेकिन हाथ लगी तो सिर्फ निराशा। विरोधी केवल मो. रजा को वापस मांग रहे थे।

अमेरिका ने कहा कि वह रजा पर अपने देश में ही मुकदमा चलाएंगे लेकिन ईरान ने मना कर दिया। फिर अमेरिका ने ईरान से बंधको को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन ईगल क्लॉ लांच किया। मिशन के तहत अमेरिकी सैनिकों को रात के समय चुपके से जाकर अपने नागरिकों को बचाना था। 24 अप्रैल 1980 को अमेरिकी दस्ता निकला लेकिन रेतीले तूफान ने अमेरिका को घुटनों पर ला दिया। कई हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गए और 8 अमेरिकी सैनिक मारे गए।

अमेरिका ने मिशन टाल दिया और कूटनीतिक तरीकों से काम को अंजाम देने को सोचा। उसने अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर तमाम तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए। इसी बीच इराक ने ईरान पर युद्ध किया तो अमेरिका ने इराक के साथ आकर बदला पूरा करना चाहा, जिसमें काफी हद तक वह सफल भी हुआ। फिर ईरान ने यूनाइटेड नेशंस से सहयोग मांगा। यूएन ने कहा कि यह सब तभी बंद होगा, जब तक बंधक रिहा नहीं होंगे।

फिर 1981 की शुरुआत में अल्जीरिया के राजनयिकों ने ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत में मध्यस्थता की। इसी बीच अमेरिका में 20 जनवरी 1981 को अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने शपथ ली। फिर अमेरिका ने ईरान के ऊपर से तमाम प्रतिबंध हटाए और फिर उधर ईरान ने बंधकों को रिहा कर दिया था।