पंजाब में जब 80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन (Khalistan) ने धार पकड़ ली थी, उस समय जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) का नाम सबसे आगे था। बाद में फिर इसी जरनैल सिंह भिंडरावाले के इशारे पर सिख आतंकवादियों ने श्री हरमंदिर साहिब परिसर (Golden Temple) पर कब्जा जमा लिया था। इसी क्रम में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सिख आतंकवादियों को हटाने के लिए सैन्य कार्रवाई के आदेश दिए थे। जिसे ऑपरेशन ब्लूस्टार के नाम से जाना जाता है।
हालांकि, बाद में पता चला था कि ऑपरेशन ब्लूस्टार (Operation Blue Star) से पहले भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) एक खास प्लान तैयार किया था। जिसे देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरा सुना था, लेकिन कुछ अहम कारणों के चलते ये ऑपरेशन टाल दिया था। इंदिरा के साथ-साथ इस ऑपरेशन को तैयार करने वाले अधिकारियों को पता था कि यह कदम खतरनाक हो सकता है।
क्या था रॉ का खास प्लान: भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने स्वर्ण मंदिर को सिख आतंकवादियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए एक सीक्रेट मिशन बनाया था। हालांकि, जब इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के सामने भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल सिक्योरिटी ने इस प्लान का ब्लूप्रिंट रखा तो उन्होंने कई कारणों के चलते इसे अनुमति नहीं थी। इस गुप्त मिशन को अंतिम रूप रामेश्वर नाथ काओ (जो आर.एन. काओ के नाम से जाने जाते थे) ने दिया था। आर.एन. काओ (R.N. Kao) उस वक्त इंदिरा गांधी के सलाहकार थे। इस सीक्रेट मिशन को ऑपरेशन सनडाउन (Operation Sundown) नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में कमांडो जरनैल सिंह भिंडरावाले का अपहरण करने वाले थे। ऑपरेशन का नाम सनडाउन इसलिए रखा गया, क्योंकि इसे आधी रात में अंजाम दिया जाना था।
यूपी में हो चुकी थी ट्रेनिंग: इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, इस ऑपेरशन को अंजाम देने वाले कुछ कमांडो पहले ही तीर्थयात्रियों और पत्रकारों के वेश में घुसकर आतंकियों की स्वर्ण मंदिर में पैठ की जानकारी हासिल कर चुके थे। ताकि ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया जा सके। फिर, कई हफ्तों तक 200 से अधिक कमांडो ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के सरसावा बेस पर ट्रेनिंग की थी। जिसमें एक दो मंजिला लकड़ी की इमारत बनाकर कमांडो ऑपरेशन का पूर्वाभ्यास करते थे। ऑपरेशन की योजना कुछ ऐसी थी कि पहले कमांडो दो एमआई -4 ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर से स्वर्ण मंदिर के पास गुरु नानक निवास गेस्टहाउस में उतरेंगे और फिर जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) का अपहरण कर लिया जाएगा। इस अपहरण की योजना में सेना की एक टुकड़ी जमीनी स्तर से सहयोग के लिए रखी गई थी, क्योंकि इस दौरान जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थकों और अंगरक्षकों के साथ भिड़ंत की पूरी संभावना थी।
इंदिरा ने क्यों टाल दिया ऑपरेशन: जब इंदिरा गांधी को इस ऑपरेशन के बारे पूरी जानकारी गई तो उन्होंने ध्यान से सुना। फिर इंदिरा (Indira Gandhi) ने इस ऑपरेशन की योजना बनाने वाले अधिकारियों से कुछ प्रश्न किये। इंदिरा ने पहला सवाल पूछा कि इस ऑपरेशन में कितने लोग मारे जा सकते है और कितने बड़े नुकसान की संभावना है। इस पर जवाब देते हुए रॉ के अधिकारियों ने बताया कि, ऑपरेशन में दोनों एमआई -4 ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर (Mi-4 transport helicopters) और 20 प्रतिशत कमांडों को नुकसान पहुंच सकता है। इस जवाब पर इंदिरा गांधी धीरे से मुस्कुराईं। दरअसल, वह जानना चाहती थी कि इसमें कितने नागरिक मारे जाएंगे। इस सवाल का रॉ अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था। ऐसे में इंदिरा गांधी ने इस पूरे ऑपरेशन को अनुमति देने से मना कर दिया।