दुनिया में कई ऐसे खिलाड़ी रहे जिनका नाम अपराध की दुनिया में भी सामने आया। ऐसा ही एक नाम जेम्स स्नूक का रहा, जिसे हत्या के मामले में दोषी पाया गया था। जेम्स स्नूक के नाम ओलंपिक खेलों में बतौर निशानेबाज दो गोल्ड मेडल दर्ज थे लेकिन फिर उसे एक इलेक्ट्रिक चेयर पर बैठाकर मौत की सजा दे दी गई थी।
अमेरिका के ओहायो वेटिरनरी स्कूल से ग्रेजुएट जेम्स स्नूक एक प्रोफेसर थे। जेम्स स्नूक वेटिरनरी मेडिसन विभाग में कार्यरत थे। पढ़ाने के दौरान खाली समय में वह शौकिया तौर पर निशानेबाजी भी करते थे। फिर साल 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प में हुए ओलंपिक खेलों में उन्होंने अमेरिका का प्रतिनिधत्व किया। निशानेबाजी के इवेंट्स में उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते। यह मेडल फ्री पिस्टल 50 मीटर और मिलिट्री पिस्टल कैटेगरी में जीते गए थे।
इसके बाद जेम्स स्नूक ने काफी सम्मान प्राप्त किया। वेटिरनरी मेडिसन विभाग में पढाने के दौरान उनकी प्रतिष्ठा भी थी और वह एक गोल्ड मेडलिस्ट भी हो चुके थे। जेम्स स्नूक ने ‘स्नूक हुक’ का भी अविष्कार किया था, जिसका उपयोग आज भी पशुपालन के क्षेत्र में किया जाता है। फिर साल 1929 आता है और उन्हें एक मेडिकल स्टूडेंट थियोरा हिक्स की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
दरअसल, जेम्स स्नूक कई सालों से थियोरा हिक्स के साथ प्रेम-संबंध में थे। लेकिन बदलते वक्त के साथ हिक्स उन पर शादी का दबाव डाल रही थी। हिक्स का कहना था कि जेम्स अपनी पत्नी को तलाक देकर शादी करे। इसके अलावा हिक्स ने जेम्स को धमकी दी कि यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो उनके पत्नी-बच्चों को जान से मार दिया जाएगा। इसी के चलते उसने एक दिन हिक्स का कत्ल कर दिया था।
साल 1929 में जेम्स स्नूक ने पुलिस के सामने अपने अपराध को कबूल लिया। स्नूक ने बताया कि उसने हिक्स के सिर पर हथौड़े से कई बार वार किया फिर चाकू से गला रेत दिया। स्नूक ने कहा कि वह नहीं चाहता था कि हिक्स तड़प-तड़पकर मरे। जेम्स स्नूक के बारे में कई जगह लिखा गया कि जब इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुआ करती थी तो लोग दूर-दूर से अदालत में गवाही सुनने आते थे।
जेम्स ने अपनी गवाही में हिक्स और अपने संबंधो के बारे में बहुत सारी बातें बताई। जिसमें कहा गया कि उन्होंने मिलने के लिए शहर से दूर एक कमरा भी ले रखा था और वह अक्सर वहां जाया करते थे। कहा जाता है कि स्नूक ने कत्ल करने के तरीके को इतनी वीभत्स रूप में बयां किया था कि अखबार में उसके कबूलनामे का हिस्सा पूरा नहीं छापा जा सका था। फिर फरवरी 1930 में स्नूक को हत्या का दोषी करार देकर इलेक्ट्रिक कुर्सी पर बैठाया गया और मौत दे दी गई।