मुंबई में हाउसिंग सोसायटी मैनेजमेंट और रेजिडेंट के बीच मतभेदों का नया सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुंबई के न्यू पनवेल में नील आंगन हाउसिंग सोसायटी के एक निवासी ने कुछ रेजिडेंट्स के खिलाफ अपनी नाराजगी दिखाने के लिए एक्सट्रीम कदम उठाने का फैसला किया। इसके बाद वहां रहने वाले एक मुस्लिम परिवार को हाउसिंग सोसायटी से बेदखल कर दिया गया। यह मामला अब तीन साल के लिए कानूनी पचड़े में फंस गया है।
हाउसिंग सोसाइटी के बुजुर्ग सचिव पर साजिश का आरोप
रिपोर्ट्स के मुताबिक हाउसिंग सोसाइटी के सचिव 68 साल के केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारी ने कथित तौर पर सामने के दरवाजों पर ‘पीएफआई जिंदाबाद’ और ‘786’ लिखे नोट चिपकाए और कई निवासियों की घंटी बजाई। एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को भारत सरकार द्वारा 2022 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। वहीं 786 को इस्लाम में एक पवित्र संख्या माना जाता है।
क्या है हाउसिंग सोसाइटी विवाद का पूरा मामला
हाउसिंग सोसाइटी के बुजुर्ग सचिव को उम्मीद थी कि इसका संदेह अपने तक ही सीमित रहने के लिए मुस्लिम परिवार पर जाएगा। दहशत पैदा होने से बाकी निवासी सलाह के लिए उनके पास आएंगे और उनके बीच मौजूद किसी भी असहमति को दबा दिया जाएगा। इस मामले के सामने आने के बाद जिस मुस्लिम परिवार को आरोपियों ने निशाना बनाया था। वह इस पूरे घटनाक्रम से घबरा गया था। हकीकत सामने आने के बाद उस परिवार को राहत मिली।
24 जून को सामने आया था मामला, खंडेश्वर पुलिस स्टेशन में शिकायत
यह मामला 24 जून को तब सामने आया जब एक निजी कंपनी में कार्यरत 33 वर्षीय डिजाइन इंजीनियर अनिरुद्ध माणिक धर्माधिकारी को देर रात दोस्तों के साथ एक पार्टी से लौटने के बाद अपने फ्लैट के बाहर लिखे हुए नोट मिले। धर्माधिकारी ने खंडेश्वर पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था, “जैसे ही मैं ऊपर चढ़ रहा था, मुझे अपने घर के बाहर दूसरी मंजिल की रेलिंग पर एक स्टिकर चिपका हुआ मिला। जब मैंने इसे खोला, तो मुझे इस पर ‘786’ नंबर लिखा हुआ मिला।”
कई फ्लैट्स में चिपके मिले स्टिकर, इमारत में फैल गई दहशत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसके अलावा धर्माधिकारी को अपने फ्लैट के दरवाजे के बाहर एक टूटा हुआ नोट भी मिला, जिस पर हरी स्याही से ‘पीएफआई जिंदाबाद’ लिखा हुआ था। इसके साथ ही दो पटाखे और एक बुझी हुई अगरबत्ती भी थी। उन्होंने तुरंत सोसायटी के अन्य निवासियों को सतर्क किया और सभी ने मिलकर इमारत में कहीं और चिपकाए गए समान स्टिकर्स की तलाश की। धर्माधिकारी ने कहा, “हमारी खोज कई स्थानों पर पहुंची जहां इस तरह के ही स्टिकर लगाए गए थे। इससे इमारत में दहशत फैल गई, क्योंकि हम उस शख्स के इरादे के बारे में अनिश्चित थे जो इस तरह के काम के पीछे था।”
तीन मंजिला इमारत के 14 फ्लैटों के निवासियों से पूछताछ
सोसायटी के लोगों ने किसी भी पड़ोसी पर अपराध के लिए दोषी होने का संदेह नहीं किया। हालांकि, इसके बाद अगले दिन धर्माधिकारी को खंडेश्वर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद तीन मंजिला इमारत के 14 फ्लैटों के निवासियों से पूछताछ की गई।वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक चंद्रकांत लांडगे ने कहा, “हमें यकीन था कि यह निवासियों में से एक की करतूत थी। जिस तरह से वरिष्ठ नागरिक हमें जवाब दे रहे थे, उससे हमारा संदेह बढ़ गया। हमें यह भी पता चला कि वह इमारत के अन्य निवासियों को यह विश्वास दिलाने के लिए प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था कि इसके पीछे एक निश्चित पड़ोसी हो सकता है।”
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तीसरी मंजिल पर लगे सीसीटीवी फुटेज में दिखे आरोपी बुजुर्ग
पुलिस ने तीसरी मंजिल पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को स्कैन किया, जिसमें आरोपी छत से निकलते दिखे। वहां एक जैसे स्टिकर और अगरबत्तियां बिखरी हुई मिलीं। अधिकारी ने कहा, “वही अगरबत्तियाँ उनके आवास में पाई गईं। उन्होंने साफ तौर पर नहीं सोचा था कि मामला इतना गंभीर हो सकता है। उन्होंने सोचा कि पुलिस सभी को चेतावनी देकर चली जाएगी, लेकिन चूंकि पीएफआई एक प्रतिबंधित संगठन है, इसलिए हमें मामले को गंभीरता से लेना पड़ा।”
IPC और CRPC के तहत मामला दर्ज, पुलिस ने भेजा नोटिस
उन्होंने कहा कि जांच टीम की नज़र उस पर होने के बावजूद आरोपी यह मानता रहा कि पुलिस का शक मुस्लिम परिवार पर हो सकता है। पुलिस अधिकारी ने कहा, “जिस फ्लैट में परिवार किराए पर रहता था, उसके मालिक के साथ भी उनकी दिक्कतें थीं।” आरोपी पर आईपीसी की धारा 152-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। लांडगे ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए हमने उन्हें आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए (1) के तहत नोटिस दिया है।”