सरकारी स्कूल में सिर्फ इस्लाम की प्रार्थना कराने के आरोप में जिस मुस्लिम प्रधानाध्यापक का निलंबन अभी हाल ही में वापस लिया गया था अब खुलासा हुआ है कि उनके स्कूल में छात्रों से कभी भी ‘राष्ट्रगान’ गाया नहीं गवाया गया है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत स्थित सरकारी माध्यमिक स्कूल में पदस्थापित प्रधानाध्यापक फुरकान अली का निलंबन मानवता के आधार पर वापस लिया गया गया था। उनपर आरोप लगा था कि स्कूल में सरस्वती वंदना की जगह बच्चों से जबरन इस्लाम की प्रार्थना कराई जाती है।
इस मामले में यहां के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम बनाई गई थी। इस टीम में सिटी मजिस्ट्रेट ऋतू पुनिया, एडीएम (नगर) वंदना त्रिवेदी, और बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) देवेंद्र स्वरूप को शामिल किया गया था। सरकारी स्कूल में इस्लाम की प्रार्थना कराने की मामले की जांच को लेकर यह टीम 21 अक्टूबर को बनाई गई थी।
इससे पहले 14 अक्टूबर को यहां विश्व हिंदू परिषद् के एक स्थानीय कार्यकर्ता की शिकायत के बाद फुरकान अली को निलंबित कर दिया गया था। इनका आरोप था कि जो प्रार्थना छात्रों से स्कूल में कराई जा रही है वो प्रार्थना सिर्फ मदरसे में कराई जाती है। हालांकि उस वक्त जांच के बाद ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर उपेंद्र कुमार ने यह पाया था कि छात्रों को मशहूर कविता ‘लब पर आती है दुआ’ पढ़ाई जाती है। इस कविता को वर्ष 1902 में मशहूर कवि मोहम्मद इकबाल ने लिखा था और मोहम्मद इकबाल ने ही ‘सारे जहां से अच्छा’ भी लिखा था।
अब जिला प्रशासन ने एक बयान जारी कर कहा है कि छात्रों से बातचीत के दौरान पता चला है कि स्कूल में ‘राष्ट्रगान’ और पहले से तय कि गई प्रार्थना ‘वो शक्ति हमें दो दयानिधि’ कभी नहीं गवाई गई है। छात्रों ने बताया है कि उन्होंने स्कूल में कभी भी ‘राष्ट्रगान’ नहीं गाया। जांच में यह भी पाया गया है कि स्कूल में छात्रों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। पांचवी क्लास के कई छात्रों को ‘हिन्दुस्तान’ जैसे आसान शब्द भी नहीं लिखने आते। यहां छात्रों को पाठ सिर्फ मुंहजुबानी याद कराई जाती है। छात्रों में अनुशासन की भी काफी कमी पाई गई है। (और…CRIME NEWS)

