Mumbai Molestation Case: मुंबई लोकल ट्रेन में छेड़छाड़ का शिकार होने और रेलवे पुलिस चौकी में पुलिसकर्मियों की असंवेदनशीलता का सामना करने के लगभग एक साल बाद एक महिला ने रविवार को उठते ही कथित छेड़छाड़ करने वाले को अपने दरवाजे पर खड़ा पाया। यह पूछे जाने पर कि उसे पता कैसे मिला? छेड़छाड़ के आरोपी दिहाड़ी मजदूर ने दावा किया कि “पुलिस ने उसे दिया था।” आरोपी ने पीड़िता से मांग की कि वह अपनी शिकायत वापस ले ले।
आरोपी को पीड़िता का पता देने से जीआरपी का इनकार
इस मामले में राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) ने कहा कि उन्होंने आरोपी को पीड़िता से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी और वह कानून के अनुसार उसे सौंपी गई आरोपपत्र (Chargesheet) की कॉपी की मदद से पीड़िता के पते तक पहुंच सकता था। आरोपी के घर पहुंचने से डर के मारे पीड़िता अपने घर से बाहर नहीं निकली है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित होने के चलते पीड़िता ने घर से काम करने (Work From Home) का विकल्प चुना है।
क्या है पूरा मामला? अंधेरी जीआरपी में पुलिस वालों ने शिकायत को हल्के में लिया
जानकारी के मुताबिक छेड़छाड़ की यह घटना 21 सितंबर, 2022 को सामने आई थी। पीड़िता अपने काम के लिए मुंबई लोकल ट्रेन के प्रथम श्रेणी महिला कोच में यात्रा कर रही थी। उसी दौरान अंधेरी और जोगेश्वरी स्टेशनों के बीच एक व्यक्ति ने उसे गलत तरीके से छुआ। जब पीड़िता अंधेरी जीआरपी चौकी पहुंची तो एक अधिकारी ने पूछा कि उसने अपराधी की पिटाई क्यों नहीं की। एक महिला अधिकारी ने पूछा कि क्या आरोपी उसका बॉयफ्रेंड है?
पीड़िता ने आपबीती पोस्ट की तो एक्शन में आए जीआरपी के तत्कालीन कमिश्नर
पीड़िता ने कहा, “मेरे साथ जो हुआ उसकी गंभीरता को वे लोग नहीं समझ पा रहे थे… और मामले को किसी अन्य छोटे-मोटे अपराध की तरह ले रहे थे।” वहां एफआईआर दर्ज करने में तीन घंटे लग गए। जब उसने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी आपबीती पोस्ट की तो जीआरपी के तत्कालीन कमिश्नर कैसर खालिद ने पुलिसकर्मियों के आचरण की जांच शुरू की। छेड़छाड़ के आरोपी बिहारीलाल यादव को भी तीन दिन में गिरफ्तार कर लिया गया।
एक साल बाद अचानक पीड़िता के घर आ धमका आरोपी, सोसायटी में हंगामा
पीड़िता ने बताया कि रविवार की सुबह जब वह और उसके माता-पिता सो रहे थे तब आरोपी बिहारीलाल यादव ने उसके दरवाजे की घंटी बजाई। वह नशे में लग रहा था। पीड़िता की मां ने उससे दो-तीन बार पूछा कि उसे पता कैसे मिला और हर बार उसने कहा कि उसे यह पता पुलिस से मिला है। वह पीड़िता का नाम चिल्लाता रहा और हंगामा करता रहा। इस शोर और हंगामे से सोसायटी के निवासी इकट्ठा हो गए।
आरोपी मजदूर बेघर और अनपढ़, चार्जशीट या इंटरनेट ने नहीं निकाल सकता पता
आरोपी को वहां से टालने के लिए पीड़िता के बुजुर्ग पिता को बार-बार कहना पड़ा कि वे शिकायत वापस ले लेंगे। पीड़िता ने कहा, “यह आदमी एक बेघर व्यक्ति है। वह किसी भी तरह से नहीं जानता कि अदालती दस्तावेजों को कैसे पढ़ा जाए या मेरा पता पाने के लिए इंटरनेट का उपयोग कैसे किया जाए।” पीड़िता ने अपने साथ रविवार को जो कुछ हुआ था उसे साझा करने के लिए फिर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का इस्तेमाल किया।
आरोपपत्र या आरोपी की जमानत को लेकर जीआरपी ने कुछ नहीं बताया
पीड़िता ने कहा, “मेरे ट्वीट करने के बाद एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी ने मुझे फोन किया और क्षेत्राधिकार के बारे में लगभग 10 मिनट तक अशिष्टता से बात की कि कैसे उसके मामले को शहर की पुलिस के बजाय जीआरपी द्वारा संभाला जा रहा था। कॉल बहुत परेशान करने वाली थी।” उन्होंने कहा कि जीआरपी ने उन्हें कभी नहीं बताया कि कब आरोपपत्र दायर किया गया या कब आरोपी यादव को जमानत मिली। पुलिस ने गैर-संज्ञेय शिकायत दर्ज की। पीड़िता यादव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और उसकी जमानत रद्द करने के लिए रेलवे पुलिस में शिकायत दर्ज करवाना चाहती है।
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पीड़िता ने एक्स पर लिखा- देश में न्याय पाना किन बातों पर निर्भर करता है
पीड़िता ने एक्स पर लिखा, “इस देश में न्याय पाना इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास सोशल मीडिया अकाउंट है या नहीं, आपके पास अच्छी खासी संख्या में लोग हैं या नहीं, आप अंग्रेजी जानते हैं ताकि आप अपनी आपबीती साझा करने के लिए अधिकतम लोगों तक पहुंच सकें, आपके पास इंटरनेट कनेक्शन और एक स्मार्टफोन हो ताकि आप एक ऐप पर सुरक्षा बुनियादी चीजों के लिए भीख मांग सकें।”