मुंबई अंडरवर्ल्ड में पठान गैंग, डी-कंपनी के अलावा BRA गैंग (बाबू रेशिम, रमा नाइक और अरुण गवली) भी काफी मजबूत था। शुरुआती 70 के दशक में BRA गैंग सबसे भयानक थी। इस गैंग में तीन गैंगस्टर्स रमा नाइक, बाबू रेशिम और अरुण गवली थे लेकिन 1987 में बाबू रेशिम की हत्या ने सभी को दंग करके रख दिया था। इस तरह की वारदात तब के समय में नहीं देखी गई थी।
मुंबई में पैदा हुआ बाबू रेशिम परिवार की माली हालत के चलते बचपन से ही होटल में बर्तन साफ़ करने का काम करता था। थोड़ा बड़ा हुआ तो मझगांव डॉक की कैंटीन में नौकरी करने लगा और यही से उसने आपराधिक गतिविधियां शुरू कर दी। शुरू में वह छोटे-मोटे अपराधों में ही लिप्त था लेकिन 80 के दशक से पहले ही उसने गैंग के जरिए जबरन हफ्ता वसूली के धंधे में हाथ डाला।
थोड़े दिनों में मिलों में हड़ताल ख़त्म कराने के बदले पैसे लेना बाबू रेशिम का शगल बन गया। उसका नाम चर्चा में तब आया जब दत्ता सामंत के कहने पर हुई मिल हड़तालों को ख़त्म करने के लिए उसे काम सौंपा गया। यह साल 1982 का था और बाबू रेशिम ने गैंग की दम पर मजदूरों को धमकाकर काम पर वापस भेज दिया। साल 1984-85 में BRA गैंग का दबदबा मझगांव, मुंबई सेंट्रल, भायखला के अलावा चिंचपोकली, परेल और महालक्ष्मी तक हो गया।
बाबू रेशिम आदतन शराबी था और साल 1987 में एक दिन उसने भायखला के कंजरवाडा इलाके में एक लड़की के साथ छेड़खानी कर दी। इलाके के लोगों ने बाबू को घेर लिया लेकिन गुर्गों के दम पर कुछ लड़कों की पिटाई कर दी और मामला शांत कर लिया। फिर इसी साल में बाबू रेशिम एक स्थानीय बदमाश के हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसे दक्षिणी मुंबई के जेकब सर्किल कारागार में बंद कर दिया गया।
तारीख 5 मार्च और साल 1987। सुबह साढ़े तीन बजे जेकब सर्किल जेल के मेन गेट पर जोर का धमाका हुआ। धमाके की आवाज के चलते सभी लोग तितर-बितर हो गए। थोड़ी देर बाद मामला शांत हुआ तो पता चला कि लॉकअप तोड़कर बाबू रेशिम की हत्या कर दी गई। कुख्यात अपराधी की जेल के अंदर हुई दुस्साहस पूर्ण हत्या ने पूरी मुंबई पुलिस और जेल प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए। इस मामले में कई पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए और कई दिनों तक बाबू रेशिम के अधिपत्य वाले इलाके की दुकानें बंद रही।
मामले की छानबीन हुई तो पता चला कि इस काम को महेश ढोलकिया, विजय उटेकर और कुछ अन्य अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया। बाबू रेशिम की हत्या के मुख्य आरोपी विजय उटेकर की तलाश जारी थी। जांच में सामने आया कि कंजरवाडा में लड़की के साथ हुई छेड़खानी में विजय उटेकर की भी पिटाई हुई थी। विजय तभी से बदले की आग में जल रहा था।
कहा जाता है कि बाबू रेशिम की हत्या में विजय की मदद दाउद गैंग के शरद शेट्टी और महेश ढोलकिया ने की थी। वहीं कुछ दिनों बाद ही फरार विजय उटेकर को दादर में एक एनकाउंटर में मार गिराया गया था और हत्या मामले में अन्य हमलावरों को सजा सुनाई गई थी।