मुंबई में अंडरवर्ल्ड की काली दुनिया में हर तरह के अपराध हुए। आज बात इन अपराधियों को जहन्नुम में पहुंचाने वाले निडर पुलिसवालों की। पुलिस की भाषा में ऐसे जाबांजों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है। बदमाशों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के विशेषज्ञों में से एक हैं दया नायक। कन्नड़ मीडियम स्कूल से 7वीं क्लास पास करने के बाद साल 1979 में दया नायक मुंबई (तब बॉम्बे) आए। कर्नाटक के एक गांव से निकल कर पुलिस आने के करीब 3 दशक बाद दया नायक मुंबई के एक निडर और मशहूर पुलिसवाले बन गए।
मुंबई आने के बाद दया नायक एक होटल के पोर्टिको में काम करते थे और यहीं उनका घर था। कहा जाता है कि कई बार स्ट्रीटलाइट के नीचे बैठकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। मेहनत और लगन की वजह से उन्होंने गोरेगांव के एक स्कूल से 12वीं की परीक्षा पास की और फिर अंधेरी के एक स्कूल से ग्रेजुएशन पूरा किया। दया नायक की जिंदगी पर बॉलीवुड फिल्म अब तक 56 भी आ चुकी है जिसमें नाना पाटेकर मुख् भूमिका में नजर आए थे।
80 से ज्यादा एनकाउंटर
कॉलेज के बाद वो दया नायक प्लंबर के तौर पर काम करने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारियों से हुई। जिसके बाद दया नायक वर्दी से काफी प्रभावित हुए। साल 1995 में दायक नायक की पोस्टिंग जुहू में हुई। साल 1996 के दिसंबर में दया नायक ने जुहू में छोटा राजन के 2 गुर्गों का एनकाउंटर किया और यह उनका पहला एनकाउंटर था। वक्त गुजरने के साथ दया नायक एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन गए और कहा जाता है कि उन्होंने 80 से ज्यादा एनकाउंटर किये। बताया जाता है कि निडर दया नायक के एक के बाद एक एनकाउंटरों से जुर्म की दुनिया में खलबली मच गई थी।
दया पर बम से हमला
मुंबई में दादर इलाके के फूल मार्केट में दया को आतंकवादी होने की खबर मिली थी। जैसे ही दया मार्केट में पहुंचे तो आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलाई। गोलियों से दया बच पाते तब तक आतंकवादियों ने उन पर बम से हमला कर दिया। इस हमले में दया बुरी तरह घायल हो गए थे। जिस कारण उन्हें 17 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था। मुंबई के बड़े अपराधी विनोद माटकर, राफिक डबावाला और तौफिक कालिया ये वो नाम हैं जिन्हें दया ने मौत की नींद सुला दिया हैं। वहीं, 300 से अधिक अपराधियों को दया गिरफ्तार कर चुके हैं। इसके अलावा कई बड़े मामलों को सुलझा चुके हैं।
अंडरवर्ल्ड से रिश्ते का आरोप
हालांकि दया नायक जितना अपनी स्टाइल औऱ बहादुरी को लेकर चर्चित रहे उतना ही उनका विवाद से भी नाता रहा। दया नायक ने अपनी मां के नाम पर अपने गांव में एक स्कूल बनवाया। इसके बाद जनवरी 2002 में उनके खिलाफ बेनामी संपत्ति की जांच शुरू हुई। कई जगहों पर छापेमारी हुई, एसीबी ने दया नायक को पकड़ा भी लेकिन जल्दी ही वो इन सभी आरोपों से बरी हो गए।
साल 2003 में दया पर पत्रकार केतन तिरोड़कर ने आरोप लगाया था कि दया अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर काम करते हैं। लोगों को धमकाते हैं और अवैध रूप से वसूली करते हैं। तिरोड़कर ने दया के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि दया डॉन छोटा शकील के साथ मिलकर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इस मामले के बाद महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम (मकोका) के तहत दया की जांच हुई और वे निर्दोष पाए गए थे।

