मोसाद यानी इजराइल (Israel) की खुफिया एजेंसी, जिसे दुनिया किलिंग मशीन के नाम से जानती है। आज बात साल 2020 में मोसाद के उस ऑपरेशन की जिसमें उसने ईरान में घुसकर अलकायदा के नंबर दो सरगना अबू मोहम्मद अल-मसरी और उसकी बेटी मरियम को मौत के घाट उतार दिया था। मरियम आतंकी संगठन अलकायदा का बड़ा नाम रहे ओसामा बिन लादेन की बहू थी।
इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के बारे में पूरी दुनिया जानती है कि मोसाद (Mossad) न अपने दुश्मनों के बारे में भूलती है और न ही माफ करती है। अलकायदा का नंबर दो सरगना अबू मोहम्मद दो दशक से ज्यादा समय तक ईरान में छिपा रहा था। अबू मोहम्मद का साल 1998 में केन्या और तंज़ानिया में अमेरिकी दूतावासों में हुए भीषण हमलों में हाथ था। तभी से अमेरिका लगातार मोसाद के साथ उसकी तलाश कर रही थी।
दरअसल, अमेरिका ने ही मोसाद को जानकारी दी थी कि अबू मोहम्मद कहां हो सकता है। अबू मोहम्मद के साथ उसकी बेटी मरियम थी जो अलकायदा के संगठन का नेतृत्व करने और हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण ले रही थी। मरियम ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) के बेटे हमजा बिन लादेन की बीवी थी। हमजा के मारे जाने के बाद मरियम अपने पिता के साथ रह रही थी।
अमेरिका की जानकारी के बाद मोसाद ने एक हिट स्क्वाड किडो (Kidon) तैयार किया। अबू मोहम्मद दूतावासों पर हुए हमलों का मास्टरमाइंड था, इस हमलों में करीब 220 लोग मारे गए थे। वहीं अमेरिका ने अबू मोहम्मद पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 अगस्त को मोसाद के हिट स्क्वाड ने एक खुफिया मिशन के तहत अबू मोहम्मद अल-मसरी और उसकी बेटी मरियम को ढेर कर दिया था।
मोसाद ने इस मिशन को तेहरान में अंजाम दिया था। बताया जाता है कि 7 अगस्त की देर शाम को अबू मोहम्मद अल-मसरी (Abu Muhammad al-Masri) और उसकी बेटी मरियम एक कार से कहीं जा रहे थे। तभी कुछ बंदूकधारियों ने उनकी कार रोकी और ताबड़तोड़ गोलियों से दोनों को भून डाला। इस मिशन में मोसाद के हिट स्क्वाड किडो ने बंदूक पर साइलेंसर का इस्तेमाल किया था। जिसके चलते हमले की किसी को भनक तक नहीं लगी।