सुल्तानपुर लोधी के विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह और उनके समर्थकों द्वारा सतलुज नदी के बाढ़ के पानी को उनमें प्रवाहित करने की अनुमति देने के लिए भरोआना गांव (कपूरथला) के पास काली बेईन और ब्यास पर एक बांध (तटबंध) को तोड़ने के एक दिन बाद पुलिस ने शनिवार को विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया। उनके करीब 100 समर्थकों पर गैरकानूनी तरीके से बंद (तटबंध) काटने का आरोप है। सुल्तानपुर लोधी हलके के कुछ गांवों में सतलुज की बाढ़ का पानी जमा हो गया है।

उत्तरी भारत नहर और ड्रेनेज अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज

कपूरथला के एसएसपी राजपाल सिंह संधू ने कहा कि उन्हें इस संबंध में ड्रेनेज विभाग से शिकायत मिली है। उसके आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही है और कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। ड्रेनेज विभाग की शिकायत के आधार पर उत्तरी भारत नहर और ड्रेनेज अधिनियम, 1873 की धारा 70 और भारतीय दंड संहिता की धारा 277, 426 और 430 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

भरोआना गांव में पुलिस अफसरों की मौजूदगी में तटबंध पर कार्रवाई

रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार शाम को राणा और उनके कई समर्थक भरोआना गांव में इकट्ठा हुए थे। हालांकि पुलिस अधिकारी मौजूद थे, फिर भी विधायक और उनके समर्थक अर्थ-मूविंग मशीन का उपयोग करके बांध को काटने के लिए आगे बढ़े। इस प्रक्रिया में लगभग पांच घंटे लगे और आधी रात तक बंद का उल्लंघन पूरा हो गया।

एफआईआर को लेकर विधायक ने कहा- डर नहीं, हमारा कदम सही

अपने कदम को सही ठहराते हुए विधायक ने कहा कि उन्होंने लोगों की भलाई के लिए ऐसा किया क्योंकि उन्हें राहत देने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित गांवों में जलस्तर कम हो गया है। अपने खिलाफ हुई एफआईआर के बारे में विधायक ने मीडिया से कहा कि जब वह लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं तो उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है।

सस्ती राजनीति बताते हुए AAP नेता ने जताई बाढ़ समेत कई आशंका

पत्रकारों से बात करते हुए सुल्तानपुर लोधी से चुनाव लड़ने वाले AAP निर्वाचन क्षेत्र प्रभारी सज्जन सिंह चीमा ने कहा, “यह सस्ती राजनीति है।” उन्होंने कहा कि सतलुज के एकत्रित पानी को ब्यास में डालने के लिए कई बैराज खोले गए, लेकिन फिर भी यह गैरकानूनी कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि अगर कल ब्यास में पानी जमा हुआ तो धुस्सी बांध में इस अवैध दरार के कारण वह इन गांवों की ओर आ सकता है। पता चला है कि बांध पर सड़क थी और इसके टूटने से करीब पांच गांवों में राहत सामग्री की आपूर्ति बंद हो गई।

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