लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) प्रमुख मसूद अजहर के रिश्तेदारों को यूएपीए के तहत दोषियों के रूप में नामित करने के बाद केंद्र ने अब कश्मीर के मुश्ताक अहमद जरगर को आतंकवादी घोषित किया है। 52 वर्षीय जरगर साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 के अपहरण में बंधकों के बदले भारत द्वारा रिहा किए गए तीन आतंकवादियों में शामिल था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा बुधवार को जारी एक गजट अधिसूचना में कहा कि “जरगर न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है। क्योंकि जरगर अल-कायदा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी संगठनों के संपर्क में रहा है। मुश्ताक अहमद जरगर उर्फ ​​लाट्रम के बारे में केंद्र सरकार का मानना ​​​​है कि वह आतंकवाद में शामिल है और उसे यूएपीए अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में अधिसूचित किया जाना है।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मुश्ताक अहमद जरगर यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन अल-उमर-मुजाहिदीन का संस्थापक और मुख्य कमांडर है। इससे पहले वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से जुड़ा हुआ था। इसके अलावा जरगर ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भी गया था। गृह मंत्रालय की तरफ से सूचना में कहा गया है कि जरगर, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान की ओर से लगातार अभियान चला रहा है।

इस अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि मुश्ताक अहमद जरगर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने और आतंकी फंडिंग सहित विभिन्न आतंकी अपराधों में शामिल रहा है। ज्ञात हो कि, पिछले सप्ताह ही गृह मंत्रालय ने यूएपीए के तहत तीन शीर्ष आतंकी गुर्गों को आतंकवादी घोषित किया गया था। इनमें हाफिज सईद का बेटा तल्हा, मसूद अजहर का भाई और 2019 पुलवामा अटैक प्लानर अम्मार अल्वी और पठानकोट अटैक हैंडलर अली लशिफ जान शामिल था।

दरअसल केंद्र ने अगस्त, 2019 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में संशोधन किया था। जिसमें किसी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने के प्रावधान को शामिल किया गया था। इस संशोधन से पहले, केवल संगठनों को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया जा सकता था। नए अधिनियम के तहत पहले आदेशों में सितंबर 2019 में, सरकार ने लश्कर के हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी, जैश के मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को आतंकवादी घोषित किया था।

बता दें कि, आतंकवादी के रूप में घोषित किये जाने के बाद सरकार को उसकी फंडिंग को फ्रीज करने और उसके पूरे नेटवर्क पर नकेल कसने में मदद मिलती है। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-35 की उप-धारा (1) का खंड (ए) केंद्र को उक्त अधिनियम की चौथी अनुसूची में किसी व्यक्ति के नाम को अधिसूचित करने का अधिकार देता है, अगर उसे लगता है कि अमुक शख्स आतंकवाद में शामिल है।