देश की राजधानी दिल्ली में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। 9 अक्टूबर 2018 को दिल्ली के द्वारका पुलिस स्टेशन पर एक कॉल आया था। कॉल करने वाले ने बताया कि छत की मिट्टी हटाने पर उसके नीचे से कंकाल मिला है। पुलिस मौके पर पहुंची और जांच की तो पता चला कि लाश ओडिशा निवासी 27 साल के जयप्रकाश नारायण की है, जो एमबीए करने के बाद दिल्ली में नौकरी कर रहा था। वह इसी घर में अपने मामा विजय महाराणा के साथ किराये पर रहता था। 35 वर्षीय विजयन आंध्र प्रदेश का रहने वाला था। वह गुरुग्राम में नौकरी करता था। उसी के साथ में जयप्रकाश की भी नौकरी लगी हुई थी। पुलिस ने जब मामा के बारे में पता लगाना शुरू किया तो उसके पुराने सारे नंबर बंद मिले। यहां तक की उसके घर वालों को भी नहीं पता था कि विजयन कहां है।

पुलिस ने जब जयप्रकाश के घर वालों से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि जयप्रकाश से उनकी बात आखिरी बार 6 फरवरी 2016 को हुई थी। 7 फरवरी को आरोपी मामा ने बताया कि वह अपने दोस्तों के साथ वैष्णो देवी घूमने गया है। घर वाले जयप्रकाश के आने का इंतजार करने लगे, लेकिन कई दिनों तक कोई खबर नहीं मिलने पर 12 फरवरी को मामा ने डाबड़ी थाने में गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद वो दोबारा पुलिस के पास नहीं गया। उसके कुछ दिनों के बाद से मामा का भी पता नहीं था।

पुलिस के शक की सुई विजयन पर ही अटक गई। पुलिस की कई टीमों ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश में छापेमारी की। आखिरकार पुलिस की चार महीनों की मेहनत के बाद आरोपी की गिरफ्तारी तेलंगाना से हो पाई। पूछताछ में जो बात विजयन ने बताई उसे सुनकर पुलिस भी सहम गई।

दरअसल, विजयन की गर्लफ्रेंड से भांजे की नजदीकियां बढ़ गई थी। इस बात को लेकर कई दफा दोनों के बीच नोकझोंक भी हुई थी। मामा ने भांजे को रास्ते से हटाने के लिए पंखे की मोटर से वार कर के हत्या कर दी। शव को ठिकाने लगाने के लिए बालकनी में मिट्टी डालकर पूजा के लिए तुलसी का पौधा लगाने के बहाने उसकी लाश उसमें दफन कर। उस पर ईंटे बिछा दी। उसके बाद उसी मकान में अकेले रहने लगा।