छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम हिंसा के कारण अपने गांव को छोड़कर जाने के बाद एक व्यक्ति ने 4 अप्रैल को सीएम भूपेश बघेल और बाद में नई दिल्ली में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह से मुलाकात की थी। पुलिस ने बताया कि अब उसी शख्स का शव सोमवार को कोलाईगुडा गांव में मिला। मृतक की पहचान दूधी गंगा के रूप में हुई है। पुलिस ने इस घटना में माओवादियों पर शक जताया है।

पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि मृतक दूधी गंगा, मूल रूप से सुकमा के अरलमपल्ली गांव का रहने वाला था, जो लगभग पांच साल पहले आंध्र प्रदेश भाग गया था। पुलिस को संदेह है कि उसकी हत्या निजी कारणों से भी की जा सकती है और इसके लिए माओवादी भी जिम्मेदार हो सकते हैं। अधिकारियों ने कहा, मामले में जांच जारी है। बता दें कि दूधी गंगा ने 4 अप्रैल को रायपुर में बघेल और बाद में नई दिल्ली में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह से मिलकर पुनर्वास के मांग की थी।

दूधी गंगा ने सीएम व मंत्री से मिलकर आंध्र प्रदेश (जहां वह रहता था) या फिर छत्तीसगढ़ में अपने पुराने गांव से दूर पुनर्वास हेतु जमीन की मांग की थी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दूधी गंगा अपने गांव में एक महिला से बलात्कार और हत्या के मामले में करीब 2 साल जेल में रहा था। पुलिस के अनुसार, गंगा आम पांडम उत्सव में शामिल होने के लिए सुकमा के कोलाईगुड़ा गया था, तभी उसे शुक्रवार को माओवादियों ने कथित तौर पर अगवा कर लिया था।

पुलिस ने संदेह जताते हुए कहा कि दूधी गंगा का शव रविवार रात गांव के पास फेंक दिया गया था। शायद यह बदला लेने का मामला था, क्योंकि दूधी गंगा ने जिस तरह साल 2012 में कथित तौर पर महिला को मारा था, उसकी मौत भी उसी तरीके से हुई है। पुलिस के अनुसार, दूधी गंगा एक संगठन का सदस्य था, जो आदिवासी समुदायों के पुनर्वास की मांग उठाता रहा है। गंगा भी इसी के तहत अपने पुनर्वास की बात कर रहा था और सीएम व केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की थी।

न्यू पीस प्रोसेस के संस्थापक शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि दूधी गंगा का नाम उस सूची में शामिल था, जिसे हमने बस्तर संभागीय आयुक्त को पुनर्वास के लिए भेजा था। दरअसल, गंगा अपने अन्य आदिवासी समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए मुखर था। हालांकि, हम लोग उनके अतीत के बारे नहीं जानते थे। बता दें कि, शुभ्रांशु चौधरी भी रायपुर और दिल्ली में हुई मुलाकातों में आदिवासी समुदायों के लोगों के साथ आए थे।

बस्तर में बड़े पैमाने पर काम कर चुके शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि दूधी गंगा की मौत की खबर सामने आने के बाद से लगभग सभी लोग पुनर्वास सूची से अपना नाम हटवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, इस हत्या ने विस्थापित आदिवासियों के पुनर्वास के हमारे प्रयासों को असफल कर दिया है। सभी लोग डरे हुए हैं, क्योंकि इस तरह की हिंसा ने ही उन्हें भागने के लिए मजबूर किया था।