यूं तो मुंबई के सबसे बड़े डॉन के रूप में कई लोग दाउद इब्राहिम को देखते हैं। आज हम जिस गैंगस्टर की बात यहां कर रहे हैं उसके बारे में कहा जाता है कि एक बार उसने दाउद इब्राहिम को इतना पीटा था कि उसे जान बचाकर भागना पड़ा था। हम बात कर रहे हैं करीम लाला उर्फ अब्दुल करीम शेर खान की। अब्दुल करीम शेर खान का जन्म अफगानिस्तान के कुनार प्रक्षेत्र में हुआ था। ज्यादा पैसे कमाने की चाह में वो पाकिस्तान के पेशावर से होते हुए हिन्दुस्तान पहुंचा था। कहा जाता है कि अब्दुल करीम शेर खान एक खतरनाक अंडरवर्ल्ड डॉन था जो अवैध शराब के धंधे, जुआ, रंगदारी रैकेट समेत अन्य कई गैर कानूनी कामों में संलिप्त रहा है। 1960-80 के बीच करीम लाला जुर्म की दुनिया के बीच एक बड़ा नाम था। कहा जाता है कि कुख्यात करीम लाला ‘पठान गैंग’ का नेता था और मुंबई पर राज करता था।

एक वक्त था जब पठान समुदाय में करीम लाला की काफी इज्जत और हैसियत थी। बताया जाता है कि करीम लाला ने 1920 के आसपास तब के बॉम्बे (अब मुंबई) में अपना करियर एक साधारण वर्कर के तौर पर शुरू किया था। लेकिन इसके बाद उसने पठान गैंग ज्वायन कर लिया और फिर गैर-कानूनी रिकवरी एजेंट के तौर पर काम करने लगा। साल 2002 में करीम लाला की मौत हो गई थी।

करीम लाला के बारे में कहा जाता है कि वो मुंबई डॉक से हीरे और जवाहरात की तस्करी करने लगा था। 1940 तक उसने इस काम में एक तरफा पकड़ बना ली थी। आगे चलकर वह तस्करी के धंधे में किंग के नाम से मशहूर हो गया था। तस्करी के धंधे में उसे काफी मुनाफा हो रहा था। इसके बाद उसने मुंबई में कई जगहों पर दारू और जुएं के अड्डे भी खोल दिए। उसका काम और नाम दोनों ही बढ़ते जा रहे थे।

यह भी कहा जाता है कि मायानगरी में करीम लाला ने अपनी जबरदस्त पकड़ बना ली थी। व्यापार हो या बॉलीवुड सभी जगह उसके नाम की तूती बोलने लगी थी। उसी दौर में मुंबई पुलिस के हैड कांस्टेबल इब्राहिम कासकर के बेटे दाउद इब्राहिम कासकर और शब्बीर इब्राहिम कासकर तस्करी के धंधे में कूद पड़े। दोनों भाईयों ने इस धंधे में आते ही करीम लाला को चुनौती देने का काम किया। नतीजा यह हुआ कि पठान गैंग और दाउद गैंग के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।

तस्करी के धंधे में दाउद के आने से करीम लाला हैरान-परेशान था। दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी। बताते हैं कि एक बार में दाउद इब्राहिम मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था। दाउद को पकड़ने के बाद करीम लाला ने जमकर उसकी पिटाई की थी। इस दौरान दाउद को गंभीर चोटें आई थीं। दाउद को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा था। यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी प्रचलित है।