राजघराने से नाता रखने वाले सियासत के महारथी माधवराव सिंधिया को सभी जानते हैं। शुरुआत में वह जनसंघ के साथ आगे बढ़े लेकिन बाद में वह कांग्रेस में आ गए। उन्हीं की राह में चलते हुए बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। जो अब केंद्र की भाजपा सरकार का हिस्सा हैं और देश के नागरिक उड्डयन मंत्री हैं। हालांकि, एक बार ऐसा भी हुआ था जब माधवराव सिंधिया पर डकैती डालने का आरोप लगा था।

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ज्ञात हो कि राजघराने माधवराव सिंधिया और उनकी मां विजयाराजे सिंधिया के बीच चल रही अनबन चर्चा का विषय रही थी। साल 1975 के दौरान माधवराव के अपनी मां से रिश्ते ठीक नहीं थे। देश में आपातकाल लगा तो सिंधिया की मां विजयाराजे सिंधिया को जेल में बंद कर दिया गया था। माधवराव उस वक्त नेपाल में थे। इस दौरान जय पैलेस महल की देखभाल विजयाराजे सिंधिया के करीबी व राजनीतिक सलाहकार संभाजीराव आंग्रे के हाथों में थी।

आपातकाल खत्म होते ही जब माधवराव सिंधिया वापस भारत आए तो उन्होंने अपने मां के करीबी व राजनीतिक सलाहकार संभाजीराव आंग्रे व उनके परिवार पर चोरी का आरोप लगाया। माधवराव का कहना था कि आंग्रे व उनके परिवार ने महल का कीमती सामान चुराया है, जिसे वह अपनी कोठी में लेकर गए हैं। यह विवाद खिंचता चला गया और जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई तो माधवराव ने आंग्रे की कोठी में छापा भी डलवा दिया।

इस घटनाक्रम ने उस वक्त सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हालांकि, इसके प्रतिउत्तर में जो हुआ वह इतिहास में दर्ज हो गया। दरअसल, छापे के बाद संभाजीराव आंग्रे के परिवार ने माधव राव सिंधिया समेत कई अन्य लोगों पर डकैती का आरोप लगाया था। साल 1983 में आंग्रे की बेटी चित्रलेखा ने पुलिस में रिपोर्ट में दर्ज कराते हुए माधवराव सिंधिया व उनके डेढ़ दर्जन से ज्यादा समर्थकों पर हिरण वन कोठी पर डकैती डालने का आरोप लगाया था।

चित्रलेखा ने पुलिस शिकायत में कहा था कि माधवराव सिंधिया व उनके डेढ़ दर्जन से ज्यादा समर्थक रात के समय में हिरण वन कोठी में घुस गए थे। इसके बाद उन्होंने वहां मालखाने में निगरानी के लिए रखे गए कुत्तों की हत्या कर सारा माल लूट लिया था। साथ ही कहा गया कि माधवराव सिंधिया ने मालखाने में ताला भी जड़ दिया था। यह मामला कई सालों तक कायम रहा, लेकिन साल 2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उनका नाम एफआईआर से हटा दिया गया था।