Online Divorce Possible: शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है। कहा जाता है कि लड़कियों की डोली मायके से उठती है और अर्थी ससुराल से। लेकिन आजकल सात जन्मों का बंधन कहा जाने वाला शादी का रिश्ता एक जन्म भी नहीं टिकता। रिश्ते में पहले ही दरार पड़ जाता है और पति-पत्नी अलग होने का फैसला कर लेते हैं।

कोर्ट-कचहरी के काटने पड़ते हैं चक्कर

हालांकि, पति-पत्नी अलग होना किसी गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड के ब्रेकअप जैसा नहीं होता है। ये नहीं कि सोशल मीडिया पर ब्लॉक किया, कॉन्टैक्ट खत्म किया और रिश्ता खत्म। शादी का रिश्ता तोड़ने के लिए बाकायदे तलाक लेना पड़ता है, जिसके लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं।

अगर तलाक म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ हो रहा हो तो ये प्रोसेस जल्दी हो जाता है। हालांकि, विवाद की स्थिति में ऐसे मामले कई साल कोर्ट में चलते रहते हैं। खासकर तब जब दंपति के बच्चे हों। बच्चों के होने के कारण तलाक लेना और भी मुश्किल हो जाता है।

तलाक ऑनलाइन लिया जा सकता है?

ऐसे में आजकल ये सवाल उठ रहा है कि क्या सोशल मीडिया के दौर में जब अमूमन हर काम ऑनलाइन हो रहा है तो क्या तलाक भी ऑनलाइन लिया जा सकता है? क्या कोर्ट कचहरी के चक्कर काटे बिना ही अपने साथी से अलग हुआ जा सकता है? कानून में इससे संबंधित क्या प्रावधान हैं?

इस सवाल का सीधा-सरल जबाव है, नहीं। बिना कोर्ट गए तलाक लेना संभव नहीं है। देश के कानून में ‘Online Divorce’ जैसा कुछ एग्जिस्ट ही नहीं करता है। अगर आपसी सहमति से दंपति अलग रहने और अपनी-अपनी दुनिया अलग बसा लेने का फैसला ले भी लेते हैं तो उसे कानून की नजरों में उसे सही नहीं माना जाएगा। पकड़े जाने पर कार्रवाई भी की जा सकती है।

तलाक के लिए जाना ही पड़ता है कोर्ट

वकील बताते हैं कि तलाक के लिए कोर्ट जाना ही पड़ता है। तलाक तब तक मान्य नहीं होता जब तक कोर्ट तलाक की फाइनल Decree (सरकार, शासक आदि द्वारा जारी आदेश) जारी नहीं कर देता। ऐसा होने तक तलाक मान्य नहीं माना जाता है।

तलाक के मामले में कोर्ट दो बार Decree पास करता है। Decree फर्स्ट और सेकेंड मोशन के बाद जारी किया जाता है। सेकेंड मोशन के बाद जारी डिक्री फाइनल डिक्री होता है। इसे ही कोर्ट और कानून की नजरों में मान्य माना जाता है। ऐसे में तालाक के लिए कोर्ट जाना ही सही है। दूसरा कोई ऑप्शन मान्य नहीं है।