मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक हैरान कर देने का वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने कथित तौर पर अपने पास नवजात बच्चा होने का दावा कर सरकारी योजना के तहत पैसे पाने का प्रयास किया। महिला ने सरकारी योजना के लाभार्थियों की सूची में अपना नाम लिखवाने का प्रयास किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महिला ने कपड़े में लपेटे हुए आटे को बच्चा बताकर दावा किया था, लेकिन पोल खुल गई।

कारण बताओ नोटिस किया जारीः कैलासर ब्लॉक मुख्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक चिकित्सा अधिकारी डॉ एसआर मिश्रा ने बताया कि एक मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा संस्था) को भी इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है, वह आरोपी महिला के साथ थी। आशा कार्यकर्ता से पूछा गया कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए। यह घटना सोमवार (19 अगस्त) को भोपाल के उत्तर में 465 किलोमीटर की दूरी पर मुरैना जिले के कैलारस में हुई थी, लेकिन स्थानीय मीडिया को गुरुवार को कुछ स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के माध्यम से इस बारे में पता चला।

‘पहली बार सामने आया ऐसा मामला’: डॉ मिश्रा ने कहा, ‘मैंने अपने करियर में पहली बार इस तरह के अजीबोगरीब मामले का सामना किया और मुझे कभी उम्मीद नहीं थी कि लोग सरकारी योजनाओं का पैसा हड़पने के लिए इतना नीचे गिर जाएंगे।’ श्रमिक सेवा प्रसूति साहत्य योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की एक महिला को पौष्टिक भोजन के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 1400 रुपये दिए जाते हैं और प्रसव के बाद 16 हजार रुपए दिए जाते हैं। ये रुपए मजदूरी के नुकसान की भरपाई के लिए दिए जाते हैं क्योंकि प्रसव के बाद महिला को तीन महीने के लिए घर पर रहना होता है।

महिला ने बच्चा देने से किया इनकारः डॉ मिश्रा ने कहा कि एएनएम और आशा के साथ आई महिला एंबुलेंस 108 में सीएचसी पहुंची। उसने नर्स को ड्यूटी पर रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करने के लिए कहा क्योंकि उसके पास नवजात था। नर्स ने महिला को बच्चे को देने के लिए कहा ताकि उसकी डॉक्टर द्वारा जांच की जा सके लेकिन महिला ने बच्चा देने से इनकार कर दिया और कहा कि उसने अभी अभी बच्चे को जन्म दिया है। डॉ मिश्रा ने कहा कि जब महिला और उसके पति ने हंगामा मचाया तो अस्पताल के कर्मचारियों ने महिला से उसके बच्चे को ले लिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगर वह बच्चा जीवित है तो उसे समय पर उपचार दिया जा सके। डॉ मिश्रा ने कहा हम यह देखकर हम हैरान रह गए कि वह बच्चा नहीं बच्चे के आकार का लाल रंग का आटा था।

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मौके से हुए फरारः सीएचसी के प्रमुख डॉ विनोद गुप्ता ने बताया कि सच सामने आने पर महिला और उसका पति मौके से फरार हो गए। उन्हें शायद कुछ लोगों द्वारा गुमराह किया गया था कि उन्हें संस्थागत प्रसव के बिना भी सरकारी योजना के तहत पैसा मिल सकता है। उन्होंने कहा काफी विचार-विमर्श के बाद हमने पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं करने का फैसला किया क्योंकि इससे अस्पताल में मरीजों की सेवा करने के हमारे काम पर असर पड़ेगा।’