केरल के कोल्लम जिले में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) अदालत ने शुक्रवार को एक कैथोलिक पादरी को 18 साल कैद की सजा सुनाई है। पादरी को यह सजा चार नाबालिगों से यौन शोषण का दोषी पाए जाने के मामले में दी गई है। 35 वर्षीय पादरी को तीन मामलों में पांच-पांच साल और एक मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई है।
जानकारी के अनुसार, 35 वर्षीय पुजारी थॉमस पारेकुलम के खिलाफ साल 2017 में चार मामले दर्ज किए गए थे, जब वह कोल्लम जिले के पुनालुर इलाके में एक चर्च के पादरी के रूप में काम कर रहा था। थॉमस, फ्रांस में स्थित कैथोलिक कलीसिया सोसाइटी ऑफ सेंट यूजीन डी माजेंडो से संबंधित रहा। छात्राओं के साथ उत्पीड़न मामले में पादरी पर कार्रवाई एक लड़के और चाइल्डलाइन के हस्तक्षेप के बाद की गई थी।
कोल्लम की अतिरिक्त सत्र अदालत (पॉक्सो) के न्यायाधीश केएन सुजीत ने पुजारी को तीन मामलों में पांच-पांच साल की सजा सुनाई और चौथे मामले में उन्हें तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई। अदालत अपने में फैसले में केरल के कासरगोड के मूल निवासी पुजारी को एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, थॉमस पारेकुलम अपराध के समय पुनालुर इलाके के तहत आने वाले एक चर्च के पादरी के रूप में काम कर रहा था। तभी 12वीं कक्षा की सेमिनरियां (रोमन कैथोलिक चर्च की छात्राएं) उसके साथ कोट्टाथला में एक किराए के घर में रह रही थी। बताया गया है कि, शुरुआत में यह सेमिनरी समूह का हिस्सा थी; लेकिन बाद में इन सभी ने कोल्लम में अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की थी।
थॉमस पारेकुलम ने कुछ समय तक इन नाबालिग छात्राओं को अपने घर में यौन शोषण का शिकार बनाया था। इस घटना से लगे सदमे के बाद नाबालिग छात्राओं ने चर्च छोड़ दिया था। फिर एक लड़के ने मुसीबत में फंसी इन छात्राओं की बात सरकार समर्थित संस्था चाइल्डलाइन तक पहुंचाई थी, जिसके बाद मामले में केस दर्ज किया गया था।