सड़कों पर अतिक्रमण को लेकर केरल हाईकोर्ट ने बहुत ही सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी धर्म या राजनीतिक संगठनों के कार्यक्रमों के लिए सड़क पर अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान धार्मिक संगठनों को त्योहारों के दौरान पैदल चलने वालों और यातायात की आवाजाही में बाधा डालने को प्रतिबंधित करने संबंधी नियमों का “ईमानदारी से पालन” करने का निर्देश दिया है। इसी तरह का आदेश कोर्ट ने राजनीतिक पार्टियों को भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक प्रदर्शनों के दौरान भी इसका पालन ईमानदारी से किया जाए।

पीटीआई के अनुसार कोर्ट ने कहा कि सड़क किनारे स्टॉल, खिलौनों से लेकर मिठाई तक की बिक्री की दुकानें को भी यातायात बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। अदालत ने कहा कि दरअसल सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों को अवरुद्ध नहीं करने से संबंधित नियमों का पालन हर किसी को करना चाहिए, भले ही वह त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड हो या किसी भी धार्मिक संगठन से जु़ड़े लोग हों।

कोर्ट ने कहा, “ऐसे आयोजनों के दौरान सड़क पर अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती है, खासकर जब सार्वजनिक सड़कों के किनारे व्यापार किया जा रहा हो। इसकी कहीं भी इजाजत नहीं दी सकती, चाहे कोई गिरजाघर हो या मंदिर ,मस्जिद या राजनीतिक संगठन द्वारा आयोजित कोई कार्यक्रम हो।”

अदालत थुरवूर महाक्षेत्रम के वार्षिक उत्सव के संबंध में चावडी-थुरवुर चौराहे पर सड़क किनारे दुकानें लगाने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस क्षेत्र के निवासी ने यह याचिका दायर की है। याचिका में दलील दी गयी थी कि चूंकि लोक सेवा विभाग इस सड़क का रख रखाव करता है, इसलिए उसकी अनुमति के बगैर ऐसी दुकानें नहीं लगाई जा सकती हैं। जबकि त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने अदालत से कहा कि जिस सड़क पर दुकानें लगायी गई हैं वह देवास्वओम की संपत्ति से होकर गुजरती है।

इसी पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सड़क को वैसे ही रहना होगा और त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड सड़क या फुटपाथ की जगह की नीलामी नहीं कर सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी दुकानदार अपने स्टाल से बाहर अपने सामानों को नहीं रख सकता है।