छुट्टी के दिन Judge Robert Vance को पार्सल के जरिए एक पैकेज मिला। 16 दिसंबर 1989 को Robert Vance ने suburban Alabama स्थित अपने घर के रसोईघर में जैसी ही पार्सल को खोला एक जोरदार धमाका हुआ और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस धमाके में उनकी पत्नी भी गंभीर रूप से जख्मी हो गईं। इस हादसे के 2 दिन बाद एक ऐसी ही हादसा दोबारा हुआ। इस बार शिकार बने Atlanta Attorney Robert Robertson
हालांकि यह अंत नहीं था। इसके बाद 2 इसी तरह के रहस्यमयी बम मिले। जबकि तीसरा बम अटालांटा के फेडरल कोर्ट हाउस में भेजा गया। इसके अलावा एक अन्य पार्सल NAACP के कार्यालय में भेजा गया। हालांकि उस वक्त बहादुर अधिकारियों और बम विशेषज्ञों की मदद से किसी अनहोनी को टाल दिया गया।
जज औऱ अटॉर्नी की हत्या ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया। एफबीआई ने इस मामले को सुलझाने और कातिल तक पहुंचने के लिए लंबी जांच-पड़ताल की। यूएस के पोस्ट इंस्पेक्टर्स की मदद से एफबीआई की टीम ने बम के पैकेटों को लैब तक पहुंचवाया ताकि यह समझा जा सके कैसे पोस्टल सिस्टम के जरिए इन पैकेटों को भेजा गया। छानबीन के दौरान पुलिस ने संदिग्धों की लंबी सूची तैयार की।
लंबी छानबीन के दौरान एफबीआई को उस वक्त सफलता हाथ लगी जब इसी तरह के बम को डिफ्यूज करते वक्त एक एटीएफ विशेषज्ञ ने अपने एक साथी की मदद ली। विशेषज्ञ के साथी ने बताया कि करीब 17 साल पहले इसी तरह का एक बम Walter Leroy Moody नाम के एक शख्स ने बनाया था।
यह लीड मिलने के बाद एफबीआई और उसके सहयोगियों ने अपनी जांच की गति और बढ़ा दी। बम में इस्तेमाल किये गये सामानों की खरीदारी से लेकर फोन कॉल्स और लंबी कॉन्टैक्ट लिस्ट की एक सूची तैयार की गई। साक्ष्यों और अन्य जरुरी चीजों की जांच के बाद जांच टीम Walter Leroy Moody तक पहुंच गई। अपराधी पुलिस की पकड़ में था और फिर धीरे-धीरे यह भी साफ हो गया कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया?
दरअसल साल 1970 में मूडी को बम रखने के आरोप में सजा हुई थी। इस बम के फटने से उसकी पत्नी को गंभीर नुकसान भी पहुंचा था। अपनी सजा के खिलाफ उसने अपील की थी जो की रिजेक्ट हो गई जिसके बाद वो अदालत से नाराज हो गया था। साल 1980 में जब जज Vance से उसका सामना हुआ तब वो उनसे निजी दुश्मनी रखने लगा। इसी वजह से उसने इस कत्ल-ए-आम को अंजाम दिया।
साल 1991 में मूडी के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा हो चुके थे। मूडी ने अपने खिलाफ चल रहे केस को खत्म करने की हम मुमकिन कानूनी कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहा। 28 जून 1991 को ज्यूरी ने आखिरकार मूडी को दोषी पाया और उसे उम्रकैद की सजा हुई। मूडी को उसके अंजाम तक पहुंचाने में एफबीआई, एटीएफ, आईआरएस, यूएस मार्शल्स और अन्य जांच टीमों ने बेहतरीन काम किया।

