आज बात देश के उस सीरियल किलर की, जिसने छह साल में 2003-2006 के बीच कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इन सालों में वह अपने अलग अंदाज से वारदात को अंजाम दे रहा था लेकिन उसे कोई पकड़ नहीं पाया। साल 2009 में जब वह पकड़ा गया तो उसने अपने खुलासे से सभी को हैरान कर दिया। इस सीरियल किलर का नाम था मोहन कुमार उर्फ सायनाइड मोहन।

मोहन कुमार को सायनाइड मोहन इसलिए कहा गया, क्योंकि उसने सभी हत्याओं में सायनाइड का इस्तेमाल किया था। साल था 2009 और कर्नाटक के बंतवाल तालुके के बारीमार गांव की अनीता गायब हो गई। इलाके में अफवाह उड़ी कि वह किसी मुस्लिम लड़के के साथ भाग गई। दो दिन बाद अनीता नहीं मिली तो लोगों ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

पुलिस पर मामले में दबाव बढ़ा तो जांच शुरू हुई। इसी क्रम में पता चला कि किसी अनीता नाम की लड़की का शव करीब 150 किलोमीटर दूर हसन शहर के बस स्टैंड के शौचालय में पड़ा मिला है। मृत अनीता के मुंह से झाग निकल रहा था। पहले लड़की के गायब होने और फिर मर्डर की गुत्थी सुलझाने का दबाव ऐसा था कि पुलिस को एक टीम बनानी पड़ी।

पुलिस ने अनीता के फोन के कॉल डिटेल खंगाले तो किसी कावेरी नाम की लड़की से सबसे ज्यादा बात होने की बात सामने आई। पुलिस जब कावेरी के घर पहुंची तो पता कि कावेरी भी कई दिनों से लापता है। इसके बाद कावेरी की कॉल डिटेल में विनुथा और फिर गायब विनुथा के कॉल डिटेल में किसी और लड़की पुष्पा का नंबर दर्ज मिला। पुलिस ने कुछ और कड़ियों को जोड़ा पिछले बंद नम्बरों के बाद एक चालू नंबर मिला।

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पुलिस ने इस नंबर पर बात की तो पता चला कि कोई धनुष नाम का लड़का इसे चला रहा है। पुलिस ने लड़के से बात की तो पता चला कि यह फोन उसके चाचा मोहन ने दिया है। इसके बाद, पुलिस ने मोहन कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ की सभी के होश उड़ गए। क्योंकि पुलिस को लग रहा था कि यह किसी सेक्स रैकेट गिरोह का काम है। मोहन ने बताया कि साल 2003-2006 के लापता हुई 20 लड़कियों की मौत के लिए वही जिम्मेदार है।

मोहन ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह उन लड़कियों को जाल में फंसाता था, जो आर्थिक रूप से कमजोर या शादी की उम्र पार कर चुकी होती थी। फिर वह गरीब परिवार की लड़कियों से बिना दहेज शादी करने के लिए उनके परिजनों को राजी करता था। इसके बाद कहता कि जो भी पैसे व गहने हैं वह लेकर आना, हम गांव से बाहर चलकर शादी कर लेंगे।

मोहन ने पुलिस को बताया था कि वह लड़कियों को बस से उनके शहर से दूर लेकर जाता था। फिर किसी होटल में फर्जी पहचान पत्र पर ठहरता था और लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाता था। इसके बाद दूसरे दिन सुबह बस स्टैंड के शौचालय के बाहर लड़कियों को गर्भनिरोधक गोली खाने के लिए मना लेता था, जबकि असल में यह गोलियां सायनाइड जैसे खतरनाक जहर से भरी होती थी। इधर लड़की शौचालय में जाती तो उधर मोहन गहने और पैसे लेकर फुर्र हो जाता था।

इस सीरियल किलर ने बताया कि साल 2003 से लेकर 2009 के बीच दक्षिण कर्नाटक के छह शहरों में अलग-अलग बस स्टैंड के पास बने टॉयलेट में 20 महिलाओं को मौत के घाट उतारा था। मोहन कुमार के बारे में कहा जाता था कि वह जिस जाति की लड़की से दोस्ती बढ़ाता, वह खुद को भी उसी समुदाय का बताता था, जिससे लड़कियों में झांसे में जल्द आ जाती थी। जबकि मोहन कुमार की पहले से तीन पत्नियां थी।

साल 2013 में मंगलौर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उसे 20 महिलाओं की हत्या का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। फिर साल 2017 में उसे पांच अलग मामलों में हत्याओं में मौत की सजा और अन्य में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।