70 के दशक में वो मोस्ट वांटेड की सूची में शामिल थे। लेकिन जब उन्होंने सियासी चोला पहन लिया तो ना सिर्फ उनकी शख्सियत बदल गई बल्कि उनकी पहचान भी एक सफेदपोश की बन गई। अपराध की दुनिया से सियासत में आकर किस्मत आजमाने वाले मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबियों में शुमार हैं।

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राज्य में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और आज हम बात कर रहे हैं सारण के एकमा सीट से जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बाहुबली विधायक धूमल सिंह की। कहा जाता है कि अपराध की दुनिया में जितना धूमल सिंह का सिक्का चला उतना ही उन्होंने सियासत की गलियों में भी नाम कमाया है। सारम में उनकी छवि बाहुबली की है।

रंगदारी वसूलने से लेकर हत्या और हत्या के प्रयास करने तक के आरोप धूमल सिंह पर लग चुके हैं। कहा जाता है कि एक वक्त था जब बिहार, यूपी, दिल्ली, मुंबई और झारखंड में धूमल सिंह पर सैकड़ों मामले दर्ज थे। हालांकि यह बात अलग है कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नामांकन के वक्त एफिडेविट में बताया था उनपर 9 आपराधिक मामले चल रहे हैं। इसमें 4 मर्डर और हत्या के प्रयास के 2 मामले भी शामिल थे।

ऐसा नहीं है कि जब धूमल सिंह राजनीति में उतरे तब उनपर आपराधिक आरोप लगने बंद हो गए। सियासत में आने के बाद भी उनका नाम कई विवादों से जुड़ा लेकिन वो आज भी माननीय विधायक हैं। साल 2000 में धूमल सिंह सारण के बनियापुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक बने और यह उनकी राजनीति में एंट्री थी।

इसके बाद साल 2005 के फरवरी के चुनाव में उन्होने लोकजन शक्ति पार्टी औऱ उसी साल नवंबर के चुनाव में जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़ा और वो जीत भी गए। इसी साल विधायक धूमल सिंह के सारण जिले में स्थित आवास पर पुलिस ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी में पुलिस को तब हथियार, 4 मोटरसाइकिल, एक क्वालिस कार, एक बोलेरो, 300 ग्राम अवैध गांजा और 1.5 लाख रुपये कैश मिले थे। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। बनियापुर सीट से विजेता बने धूमल सिंह का दिल जल्दी ही इस विधासनभा से भर गया और उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदलने का फैसला किया।

सारण की एकमा सीट से धूमल सिंह ने साल 2010 में राजद के कामेश्वर सिंह को हराया। 2014 लोकसभा चुनाव में सांसद बनने की हरसत लेकर उन्होंने महाराजगंज लोकसभा सीट से जदयू के टिकट पर किस्मत आजमाई पर हार गए। साल 2014 में ही मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह पर 37 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आऱोप लगा और केस दर्ज हुआ।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2018 में बोकारो में लोहा ऑक्सन और आयरन ओर के ढुलाई में धूमल सिंह के गिरोह समेत बिहार- झारखंड के तीन आपराधिक गिरोह की सक्रियता को लेकर खुफिया विभाग ने रिपोर्ट तैयार की थी। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया था कि बीएसएल में लोहा ऑक्शन होने पर ऑक्शन प्राप्त ठेकेदार से 400 रुपये प्रतिटन रंगदारी ली जाती थी।

रिपोर्ट में कहा गया था कि विधायक धूमल सिंह को 200 रुपये प्रतिटन के हिसाब से रंगदारी पहुंचाई जाती थी। हालांकि इन सभी आरोपों के बावजूद धूमल सिंह एक बार फिर सारण की अपनी विधानसभा सीट से ताल ठोकने के लिए तैयार हैं।

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First published on: 04-10-2020 at 16:02 IST