आज के समय में पूरी दुनिया में इजराइल का अलग रुआब है और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद है। दुनियाभर में फैले जांबाज जासूसों के दम पर इजराइल और मोसाद किसी से भी भिड़ने का दमखम रखता है। ऐसा ही जासूस एली कोहेन था जो एक वक्त दुश्मन देश का रक्षा मंत्री बनने वाला था। हालांकि, बाद में सीरिया की सरकार के नाक के नीचे से जासूसी करने वाले इसी एली कोहेन को सरेआम फांसी दे दी जाती है।

साल 1924 में मिस्र के एलेग्जेंड्रिया में एक सीरियाई-यहूदी परिवार में एली कोहेन का जन्म हुआ था। एली के पिता साल 1914 में सीरिया के अलेप्पो से मिस्र में जा बसे थे। जब 1948 में इजराइल बना तो एली कोहेन का परिवार भी मिस्र से विस्थापित होकर इजराइल आ गया। उस वक्त एली कोहेन कॉलेज में थे और वह 1957 में पढ़ाई पूरी कर इजराइल आये थे।

जब 60 का दशक आया तो एली कोहेन की शादी नदिया नाम की लड़की से हुई। इजराइल में एली ने कुछ दिन ट्रांसलेटर और अकाउंटेंट का काम किया। इसी दौरान उन्हें मोसाद से जुड़ने का मौका मिला और एली कोहेन को स्वछंद रूप से जासूसी के लिए दुश्मन देश सीरिया भेजा गया। यहां पहुंचकर एली कोहेन ने सीरियाई सरकार के अंदर तक ऐसी पैठ बनाई कि तत्कालीन राष्ट्रपति अमीन अल हफीज उन्हें अपना डिफेंस मिनिस्टर बनाने के लिए तैयार हो गया।

साल 1961 में एली कोहेन अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स पहुंचे और सीरियाई कारोबारी कामेल अमीन थाबेट बन कई अधिकारियों के बीच पैठ बनाई। इनमें सीरियाई दूतावास के मिलिट्री जनरल अमीन अल हफीज का नाम भी शामिल था। एली कोहेन ने सभी को भरोसे में लेते हुए अपना पुराना संघर्ष बताया और कहा कि वह अब सीरिया वापस आना चाहते हैं। साल 1962 में जब वह दमिश्क पहुंचे तो सीरियाई अधिकारियों से सम्पर्क साधा।

एली कोहेन सीरिया से हर छोटी-बड़ी खबर रेडियो ट्रांसमिटर के जरिए इजरायल भेजा करते थे। साल 1963 आया तो जनरल अमीन अल हफीज ने तख्तापलट कर सत्ता हासिल कर ली। एली कोहेन और जनरल अमीन अल हफीज का पुराना संपर्क था। इसी दौरान सीरिया के राष्ट्रपति अमीन अल हफीज ने एली कोहेन उर्फ कामेल अमीन थाबेट को रक्षा मंत्री बनने का ऑफर दिया।

उस समय सीरिया बहुत सारे मिशन में नाकाम हो रहा था। हालांकि, सीरियाई राष्ट्रपति को नहीं पता था कि इसके पीछे एली कोहेन का ही हाथ है। साल 1964 में एली कोहेन छुट्टी पर इजराइल वापस आए और जब दोबारा सीरिया पहुंचे तो रेडियो ट्रांसमिटर के जरिए ख़बरें भेजने लगे। साल 1965 में सीरिया के राष्ट्रपति के रक्षा सलाहकार अहमद सुइदानी को शक हो गया। अहमद सुइदानी को लगा कि कोई तो है जो अंदर की खबरें लीक कर रहा है।

अहमद सुइदानी ने सोवियत की मदद से रेडियो ट्रांसमिटर को ट्रैक करने का उपकरण मंगाया। बस एली कोहेन की किस्मत ने यहीं धोखा दे दिया। खुफिया एजेंसी ने दिन में कई बार रेडियो ट्रांसमीटर का उपयोग करने के लिए मना किया गया था, लेकिन कोहेन जानबूझकर गलती कर बैठे। साल 1965 में अहमद सुइदानी ने पूरी सुरक्षा के साथ एली कोहेन उर्फ कामेल अमीन थाबेट के घर पर धावा बोल दिया। जिसके बाद अहमद सुइदानी को एली कोहेन के घर से रेडियो ट्रांसमिटर मिला।

रक्षा सलाहकार अहमद सुइदानी ने जांच बैठाई तो पता चला कि एली कोहेन इजरायली जासूस है। वही सीरिया के दमिश्क में बैठकर मोसाद को सारी जानकारी दे रहा था। इसके बाद, 18 मई 1965 को दमिश्क के एक चौराहे पर एली कोहेंन को सरेआम फांसी दे दी गई। इसके बाद कई घंटों तक उसका शरीर आम लोगों के लिए लटकाकर रखा गया। कई प्रयासों के बाद भी सीरिया ने एली कोहेन की बॉडी इजराइल को वापस नहीं की।