मध्य प्रदेश के इंदौर में एक ऐसा गिरोह सामने आया है जो महज 200 रुपए के सॉफ्टवेयर से आईएमईआई नंबर बदल देते थे। पुलिस ने कार्रवाई के दौरान गिरोह के कब्जे से 192 मोबाइल जब्त किए हैं। इनके कारनामे कोई छोटी-मोटी लूट नहीं देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। इस गिरोह के मास्टरमाइंड की पहचान जितेंद्र राजपूत के रूप में हुई है, रीवा का रहने वाला यह शख्स पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसने पुणे से पढ़ाई की थी।
क्या है आईएमईआई नंबरः शहर के मरीमाता से एक किराए के मकान से ऑपरेट हो रहा ये गिरोह लूट और चोरी किए गए मोबाइल को आईएमईआई नंबर बदलकर चलाता था। बता दें कि यह 16 अंकों का वो नंबर होता है जिसके जरिये पुलिस किसी भी मोबाइल को सिम नहीं होने पर भी ट्रैक कर सकती है। गिरोह में शामिल अन्य लोगों की पहचान भिंड के राजू सेंगर, रीवा के संजय पटेल और भरत वासवानी के रूप में हुई है।
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यू-ट्यूब से सीखा तरीकाः पुलिस से जब सख्ती से पूछताछ की तो जितेंद्र ने कई राज उगल दिए। उसने पुलिस को बताया वीडियो स्ट्रीमिंग साइट यू-ट्यूब से सीखकर इस तरह की वारदात को अंजाम दिया। लेकिन बाद में उसने एक सॉफ्टवेयर की मदद से अपने काम को और आसान कर लिया।
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क्यों है खतरनाकः विशेषज्ञों की मानें तो आईएमईआई नंबर बदलने के बाद चोरी किए या लूटे गए मोबाइल को ट्रैक करना लगभग असंभव हो सकता है। ऐसे में अपराधी वारदात में इस्तेमाल मोबाइल को रफा-दफा कर सकते हैं।