अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा, भारत के लिए रोज नए-नए सिरदर्द पैदा कर रहा है। तालिबान भले ही अपने आप को एक राजनैतिक शक्ति दिखाने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन उसके वादे और हकीकत में आसमान-जमीन का अंतर है।
अफगानिस्तान में भारतीय वीजा वाले अफगान नागरिकों के पासपोर्ट चोरी होने की खबर है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर ये पासपोर्ट चोरी किए गए हैं। ताकि अफगान नागरिकों के भेष में आतंकी भारत में घुस सकें। हालांकि ऐसी किसी भी चाल को मात देने के लिए भारत सरकार ने आफगानों से संबंधित नए आदेश जारी कर दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार काबुल स्थित एक ट्रेवल एजेंट के यहां से वो पासपोर्ट चोरी कर लिए गए हैं, जिनपर भारतीय वीजा का मुहर लगा हुआ था। ये घटना 15-16 अगस्त के आसपास की है। तब तालिबान काबुल पर कब्जा कर रहा था। इस खबर के बाद भारत ने जारी किए सभी प्रकार के वीजा को निरस्त कर दिया है। अब अफगान नागरिकों को भारत की यात्रा के लिए ई-वीजा अनिवार्य कर दिया है।
उधर दूसरी ओर तालिबान भले की वादा कर रहा है कि वो सभी को माफ कर चुका है, सभी सामाजिक कार्य कर रहे व्यक्ति अफगानिस्तान में सुरक्षित है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान यूएन के लोगों के साथ मारपीट कर रहा है।
रॉयटर्स के हाथ लगे एक दस्तावेज से पता चला है कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ के साथ मारपीट की जा रही है। 23 अगस्त को तीन अज्ञात लोग एक यूएन स्टाफ के घर में पहुंचे, वहां उन्होंने उनके बेटे के बारे में पूछा और कहा कि वो जानते हैं कि वो कहां और क्या करता है। 10 अगस्त से ही यूएन के दफ्तरों में स्टाफ के साथ मारपीट और बदसलूकी होती रही है।
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने अपने 300 विदेशी कर्मचारियों को वहां से निकाल लिया था। जबकि अभी भी 3000 स्थानीय स्टाफ अफगानिस्तान में मौजूद हैं।
बता दें कि तालिबान के कब्जे में जब से अफगानिस्तान आया है, वो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ये विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि उनके शासन में सब सुरक्षित हैं, लेकिन तालिबानी लड़ाके जिस तरह से कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं उससे तालिबान के वादे खोखले साबित हो रहे हैं। हर कार्रवाई के बाद तालिबान, लड़ाकों के खिलाफ एक्शन लेने लिए कहता है, लेकिन उसका ये एक्शन ऐसी किसी भी कार्रवाई को रोकने में असफल दिख रहा है।
