लंदन में बलात्कार के मामले में दोषी और गुप्त रूप से माओवादी पंथ चलाने वाले भारतीय मूल के अरविंदन बालकृष्णन की शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम इंग्लैंड में एचएमपी डार्टमूर जेल में जेल में मौत हो गई। अरविंदन बालकृष्णन को ब्रिटेन की एक अदालत ने छह साल पहले यौन उत्पीड़न के आरोप में 23 साल जेल की सजा सुनाई थी। यह जानकारी यूके जेल सेवा ने शुक्रवार को साझा की।
81 वर्षीय अरविंदन बालकृष्णन को उनके अनुयायी कॉमरेड बाला के नाम से जानते थे। अरविंदन को 2016 में अभद्र हमलों के छह मामलों, बलात्कार के चार मामलों और शारीरिक क्षति पहुंचाने के दो मामलों में सजा सुनाई गई थी। दिसंबर 2015 में जूरी ट्रायल के बाद अरविंदन को उस मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसमें यह सामने आया था कि अरविंदन ने अपनी बेटी को बर्बर तरीके 30 सालों से अधिक समय तक कैद में रखा था।
इस मामले में अरविंदन की बेटी ने अदालत में कहा था कि उसके लिए वह समय “बेहद भयानक, अमानवीय और अपमानजनक” था। इस मामले में जनवरी 2016 में बालकृष्णन को सजा सुनाते हुए जज ने कहा था कि “आपने उसे एक वस्तु के रूप में समझा न कि इंसान के रूप में माना। आपने उसे बाहरी दुनिया से बचाने के लिए जघन्य अपराध किया और उसके लिए एक क्रूर वातावरण बनाया।”
केरल के एक गांव में पैदा हुए अरविंदन बालकृष्णन ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की थी। साल 1963 में यूनाईटेड किंगडम जाने से पहले बालाकृष्णन सिंगापुर और मलेशिया में भी रहे थे। वहीं पर बाला की मुलाकात चंदा से हुई, जिनसे उन्होंने साल 1969 में शादी कर ली थी। नवंबर 2013 में दक्षिण लंदन के ब्रिक्सटन में दंपति के फ्लैट पर स्कॉटलैंड यार्ड ने तब छापा मारा था, जब दो अनुयायियों ने उन पर रेप के मामले में आरोप लगाए थे।
हालांकि, महिलाओं द्वारा लगाये गये रेप के आरोपों का खंडन करते हुए अरविंदन बालकृष्णन ने जूरी के सामने कहा कि वह “ईर्ष्यालु” महिलाओं के बीच यौन प्रतिस्पर्धा में फंस गये थे। इस मामले में स्कॉटलैंड यार्ड के जासूसों ने लंबी जांच के बाद अरविंदन बालकृष्णन के खिलाफ सारे सबूत कोर्ट में पेश किये थे, जिसके बाद उन्हें सजा सुना दी गई थी।