भारत और चीन के बीच सीमा पर तनातनी जारी है। इस बीच अमेरिकी अखबार ने बड़ा खुलासा किया है। अमेरिकी अखबार ‘Newsweek’ ने अपनी एक आलेख में कुछ दिनों पहले ग्लवान घाटी में भारत औऱ चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प का जिक्र किया है। इस आलेख में दावा किया गया है कि इस झड़प के दौरान 60 चीनी सैनिक मारे गए हैं। आलेख में यह भी कहा गया है कि दुर्भाग्यवश भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों के घुसने की इस पूरी कहानी के रचयिता चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग थे लेकिन पिपुल्स लिब्रेशन आर्मी फेल हो गई…पीएलए ऐसा कर पाने में नाकाम रही।
अमेरिकी अखबार में लिखा गया है कि ‘ग्लवान घाटी में घुसपैठ कर चीन ने भारत को चौंकाया। चीनी सैनिकों ने 20 भारतीय जवानों की हत्या कर दी। 45 सालों में यह दोनों देशों के बीच पहली इतनी खौफनाक जंग थी। चीन इस विवादित जमीन पर इसलिए इस तरह कब्जा करना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि भारतीय सेना और यहां के नेता 1962 की जंग के बाद से मानसिक रुप से परेशान हैं और सिर्फ अपनी सुरक्षा पर ही उनका ध्यान है, लेकिन वो परेशान नहीं हैं। भारतीय सैनिकों ने वहां पलटवार किया और उनके 60 सैनिकों को मार गिराया। इनकी संख्या ज्यादा भी हो सकती है। बीजिंग यह कभी स्वीकार नहीं करेगा।’
आलेख में इस बात का जिक्र है कि ऊंची पहाड़ियों पर भारत ने अपनी स्थिति मजबूर कर ली है। चीन की जमीनी सेना के पास हथियार है और उनके पास बेहतरीन ट्रेनिंग भी है लेकिन युद्ध के मैदान में वो भारतीय सैनिकों के सामने कमजोर पड़ जाएंगे। भारत अब चीन को यह मौका नहीं देगा कि वो वहां अपनी स्थिति मजबूत कर ले।
इस आलेख को लिखने वाले Cleo Pascal, Defense of Democracies के संस्थापक हैं। वो लिखते हैं कि ‘अगस्त के महीने में चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में भारतीय सैनिकों ने जो ताकत दिखाई वो 50 सालों के बाद देखने को मिली है। जब भारतीय सैनिकों ने उन्हें ऊंची पहाड़ियों से पीछे धकेला तो चीनी सैनिक दंग रह गए और उन्हें आखिरकार पीछे हटना पड़ा।
घाटी के ज्यादातर दक्षिणी हिस्से अब भारत के पास हैं जो पहले चीन के करीब थे। अब चीनी सैनिक उन इलाकों में आते-जाते हैं जहां पर किसी की नजर नहीं पड़ती। हालांकि युद्ध के दौरान यह इलाके कितने अहम साबित होंगे यह अभी नहीं कहा जा सकता है। भारत अब अपने दुश्मनों को कभी मौका नहीं देगा।’