निर्भय कुमार पांडेय
दिल्ली में अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ने के साथ मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसी का परिणाम है कि मामूली कहासुनी या फिर लूटपाट का विरोध करने पर गली नुक्कड़ में बदमाश किसी को गोली मारने से नहीं हिचक रहे। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने इस साल अभी तक 550 अवैध हथियार जब्त किए हैं। इनमें से कई हथियार अत्याधुनिक होने के साथ-साथ ऑटोमैटिक भी हैं। साथ ही तस्करों की निशानदेही पर बड़ी संख्या में कारतूस और मैग्जीन भी जब्त किए गए हैं। इन बदमाशों ने पूछताछ में बताया कि दिल्ली और आस पास के संगठित गिरोह के अलावा छोटे बदमाश भी हथियारों की मांग करने लगे हैं।
पुलिस की सख्ती को देखते हुए बदमाशों ने हथियारों को दिल्ली तक लाने के लिए तरीका और रास्ता बदल लिया है। 26 सितंबर को एक ऐसे ही गिरोह को स्पेशल सेल ने पर्दाफाश किया था, जो प्लास्टिक के डिब्बे में वनस्पति घी की आड़ में और सीएनजी सिलेंडर में हथियारों का जखीरा लेकर दिल्ली आया था। स्पेशल सेल एक अधिकारी की माने तो पिछले कुछ दिनों से पुलिस मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की ओर से चलाई जाने वाली गोलियां की संख्या बढ़ गई है। पहले एक-दो राउंड गोलियां चला करती थी, जिसके बाद बदमाश अपने आप को आत्मसमर्पण कर दिया करते थे, लेकिन पिछले दिनों कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसमें अधिक संख्या में गोलियां चलाई गई हैं।
इसका एक कारण यह भी है कि अब आॅटोमेटिक और सेमी आॅटोमेटिक हथियारों की आपूर्ति पिछले कुछ सालों में बढ़ गई है। 27 अगस्त को पुलिस ने ऐसे गिरोह के बदमाश को गिरफ्तार किया था, जिसके पास से 23 आॅटोमेटिक पिस्तौल और 50 कारतूस जब्त किए गए थे। खास बात यह है कि पहले मेरठ और बिहार के मुंगेर से हथियार लाया जा रहा था। पर अब मध्य प्रदेश के रास्ते हथियार लाए जा रहे हैं। घी की आड़ में पहली बार हथियार भिंड से लाया गया था, जहां पर लोगों के पास सबसे अधिक लाइसेंसी हथियार है। वहां के लोग भी अब अवैध हथियारों की तस्करी करने लगे हैं। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के उपायुक्त प्रमोद सिंह कुशवाहा का कहना है कि दिल्ली में अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले गिरोह पर टीम की विशेष नजर रहती है। पर तस्कर तरीका और रास्ता बदल रहे हैं।
मामूली कीमत पर सौदा
दिल्ली और आसपास में अवैध हथियार 20-25 हजार रुपए में मिल जाते हैं। तस्करों को ये हथियार आठ-दस हजार रुपए में मिलता हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों में दिल्ली में हथियारों की मांग बढ़ गई है। इसके साथ ही कारतूस की कीमत भी 200-400 रुपए है।
