Suicide at IIT-Bombay:एक विशेष अदालत (Special Court) ने अपने विस्तृत आदेश में कहा कि यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि आईआईटी-बॉम्बे के छात्र अरमान खत्री ने साथी छात्र दर्शन सोलंकी को जातिगत भेदभाव के आधार पर परेशान किया था या उसे आत्महत्या के लिए उकसाया था। स्पेशल कोर्ट का यह विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध कराया गया। 18 वर्षीय अरमान खत्री को 9 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और 6 मई को उसे जमानत दी गई थी।
विशेष न्यायाधीश ए पी कनाडे ने अपने आदेश में क्या कहा
विशेष अदालत ने यह भी कहा कि सिर्फ सुसाइड नोट में आरोप यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे कि अरमान खत्री ने दर्शन सोलंकी को आत्महत्या के लिए उकसाया। विशेष न्यायाधीश ए पी कनाडे ने अपने आदेश में कहा, “जहां तक जातिगत भेदभाव के आधार पर मृतक (सोलंकी) के उत्पीड़न का संबंध है, यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि आवेदक/आरोपी (खत्री) जातिगत भेदभाव के आधार पर मृतक को परेशान कर रहे थे। आवेदक द्वारा मृतक दर्शन को पेपर कटर दिखाने की एक घटना को छोड़कर, यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि आरोपी ने मृतक दर्शन को आत्महत्या के लिए उकसाया।”
दर्शन सोलंकी सुसाइड केस में एसआईटी ने की जांच
पवई में आईआईटी बॉम्बे परिसर में 12 फरवरी को 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी ने अपने छात्रावास की इमारत की आठवीं मंजिल से कथित तौर पर छलांग लगा दी थी। मौत की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) ने दावा किया कि खत्री के साथ बातचीत में सोलंकी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणी की थी। पुलिस ने दावा किया कि खत्री ने पेपर कटर से सोलंकी को धमकी दी। एसआईटी ने कहा था कि सोलंकी की मौत के करीब तीन हफ्ते बाद 3 मार्च को उसके हॉस्टल के कमरे में एक नोट मिला था, जिसमें उसने लिखा था, ‘अरमान ने मुझे मार डाला है।’
SIT ने IPC की इन धाराओं में दर्ज किया था केस
एसआईटी ने इन घटनाओं के आधार पर अरमान खत्री को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 506 (2) (आपराधिक धमकी) सहित अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया। खत्री पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।
खत्री के वकील दिनेश गुप्ता ने दी थी ये दलील
विशेष अदालत ने अपने आदेश में कहा, “सुसाइड नोट में मात्र यह आरोप कि खत्री उसकी मौत के लिए जिम्मेदार है, इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि उसने उकसाने के उक्त अपराध को अंजाम दिया है।” खत्री के वकील दिनेश गुप्ता ने भी कहा था कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि खत्री ने सोलंकी के साथ उनकी जाति के आधार पर भेदभाव किया था या आत्महत्या के लिए उकसाया था। गुप्ता ने यह भी कहा था कि खत्री एक छात्र था और उसकी परीक्षा चल रही थी। अदालत ने इस विवाद से सहमति जताई और कहा कि खत्री को और हिरासत में लेने का आदेश देने के लिए कोई उचित आधार नहीं है।
दर्शन सोलंकी के पिता ने लगाया था जातिगत भेदभाव का आरोप
दर्शन सोलंकी के पिता रमेश सोलंकी सहित उनके परिवार ने मौत की जांच की मांग करते हुए दावा किया था कि उनके बेटे को संस्थान में जाति-आधारित भेदभाव का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा था कि दर्शन को परेशान किया गया और जातिगत भेदभाव से प्रभावित किया गया। एसआईटी को अप्रैल में लिखे एक पत्र में रमेश सोलंकी ने कहा था कि यह इस बात से जुड़ा है कि पुलिस ने जाति के भेदभाव से इनकार किया है। इस मामले में एसआईटी ने रमेश सोलंकी को खत्री की जमानत याचिका का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन वह अदालत में पेश नहीं हुए थे।