UPSC ने CSE एग्जाम 2022 के लिए प्रीलिम्स के एडमिट कार्ड जारी कर दिए हैं। ऐसे में कैंडिडेट्स ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। यूपीएससी एग्जाम में हर साल लाखों बच्चे अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन सफलता उन चुनिंदा अभ्यर्थियों को ही मिल पाती है। जो इस परीक्षा को पास करने के लिए मेहनत करने से पीछे नहीं हटते हैं। ऐसी ही कहानी 2019 बैच की आईएएस ऑफिसर गरिमा अग्रवाल की है जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली और आईपीएस के लिए चुन ली गईं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दूसरा प्रयास दिया और आईएएस बनने के लक्ष्य को पूरा कर लिया।

मूल रूप से मध्यप्रदेश के खरगोन की रहने वाली गरिमा अग्रवाल शुरुआत से ही पढ़ाई में काफी अच्छी थी। शुरूआती शिक्षा उन्होंने खरगोन के ही सरस्वती विद्या मंदिर से की। व्यवसायिक परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद गरिमा का मन पढ़ाई में खूब रमता था। खरगोन के ही स्कूल से पढाई करते हुए उन्होंने 10वीं में 92% और कक्षा 12वीं में 89% प्राप्त किया।

12वीं की पढ़ाई करने के बाद गरिमा का मन इजीनियरिंग की तरफ गया। इसके बाद उन्होंने ट्रिपल आईटी हैदराबाद से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन करने के बाद वे इंटर्नशिप के लिए जर्मनी चली गईं। उस दौरान उन्हें वहां नौकरी करने का ऑफर भी मिला लेकिन उनका मन यूपीएससी करने का था। इसके लिए वो भारत लौटकर यूपीएससी की तैयारी करने लगीं।

करीब डेढ़ साल तैयारी के बाद उन्होंने अपना पहला अटेम्प्ट 2017 में दिया। अपने पहले प्रयास में ही गरिमा को 241वीं रैंक हासिल हुई और उन्हें आईपीएस मिला। लेकिन गरिमा का लक्ष्य आईएएस बनना था। हैदराबाद में आईपीएस की ट्रेनिंग के दौरान भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। इसके बाद अगले ही साल 2018 में उन्होंने अपना दूसरा अटेम्प्ट दिया। अपने दूसरे अटेम्प्ट में गरिमा ने 41वीं रैंक हासिल की. 41वीं रैंक मिलने के साथ ही गरिमा ने आईएएस बनने के लक्ष्य को पूरा कर लिया।

गरिमा अग्रवाल तेलंगाना कैडर की आईएएस हैं और वह वर्तमान में यदाद्रि भोंगीर की असिस्टेंट कलेक्टर हैं। गरिमा की बड़ी बहन प्रीति अग्रवाल ने भी साल 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी और भारतीय डाक सेवा के लिए चुनी गई थी।