अंडरवर्ल्ड के डॉन और मायानगरी मुंबई दोनों समय के साथ एक-दूसरे से बंधे रहे। 70 के दशक में देश ने अंडरवर्ल्ड की दुनिया को जानना शुरू किया। इस माफिया राज के दौरान डॉन तो कई हुए लेकिन दाउद इब्राहिम का नाम सबसे ज्यादा जाना गया। इसी दाउद का एक करीबी या यूं कहे कि एक जिगरी था, जिसे लोगों ने छोटा राजन के नाम से जाना। लेकिन 1992 की एक घटना और 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों ने दाउद इब्राहिम और छोटा राजन के बीच में खाईं पैदा कर दी।

इस धंधे से की थी शुरुआत: 1960 में मुंबई के चेम्बूर में पैदा हुए छोटा राजन का असली नाम राजेद्र सदाशिव निखलजे था। पिता ठाणे में नौकरी करते थे और उसके तीन भाई और दो बहनें थी। पढ़ाई में मन नहीं लगा तो स्कूल छोड़ 15 साल की ही उम्र से वह अपराध की दुनिया में आ गया और जगदीश गूंगा की गैंग में काम करने लगा। राजेंद्र निखलजे बड़ा हुआ तो 18 साल की उम्र में सिनेमाघरों के सामने ब्लैक में टिकट बेचना शुरू कर दिया।

राजेंद्र निखलजे कैसे बना छोटा राजन: साल था 1979 और आपातकाल के बाद पुलिस गैरकानूनी काम करने वालों की धरपकड़ कर रही थी। लेकिन इसी बीच राजेंद्र को राजन नायर उर्फ अन्ना राजन का साथ मिला। जब राजेद्र ने अन्ना की गैंग ज्वाइन की तो अन्ना राजन ने खुद को ‘बड़ा राजन‘ कहा और राजेंद्र को ‘छोटा राजन’ का नाम दिया। तभी से राजेद्र सदाशिव निखलजे को छोटा राजन के नाम से जाना जाने लगा।

इस साल हुई दाउद से मुलाकात: 1982 का साल था कि तभी पठान भाइयों ने बड़ा राजन की हत्या कर दी। गैंग की कमान छोटा राजन के हाथ आई तो उसने बदला लेने की सोची। साल 1983 में छोटा राजन के खौफ के चलते बड़ा राजन की हत्या करने वाले अब्दुल कुंजू ने पुलिस में सरेंडर कर दिया। इसके बाद साल 1984 में हैरतअंगेज कर देने वाली तरकीब से अब्दुल कुंजू पर हमला बोला पर वह बच गया। इसी तरकीब के चलते दाउद ने छोटा राजन को मिलने बुलाया और गैंग में शामिल कर लिया। इसके बाद छोटा राजन ने कुंजू की भरे मैदान में हत्या कर दी।

कब पैदा हुई दाउद और राजन में खटास: 1987 तक दाउद और छोटा राजन बहुत करीब थे और एक दूसरे पर भरोसेमंद भी। लेकिन कोई तीसरा था जो बड़ा ही दुखी था। इसी साल राजन दुबई चला गया। इधर उस ‘तीसरे शख्स’ यानी छोटा शकील ने दाउद को भरोसा दिलाया कि राजन आपके भाई साबिर इब्राहिम के हत्यारों को मारने के मूड में नहीं है। दाउद ने छोटा राजन से बात की और कारण पूछा तो बताया गया कि हत्यारे जिस अस्पताल में भर्ती हैं वहां काफी पुलिस है, मैं जल्दी ही काम ख़त्म कर दूंगा।

ऐसे शुरू हुआ छोटा राजन का पतन: छोटा राजन से बात होने के बाद छोटा शकील ने कहा कि वह गवली गैंग के उन हत्यारों को ठिकाने लगा देगा। दाउद के आदेश के बाद 12 सितंबर 1992 को अस्पताल में छोटा शकील ने गुर्गों के साथ मिलकर गवली गैंग के लोगों की हत्या कर दी और दाऊद का बदला पूरा कर दिया। यही वो तारीख थी, जिसने दो जिगरी डॉन के बीच जानी-दुश्मन का फैक्टर पैदा कर दिया।

कभी अंडरवर्ल्ड डॉन और दाउद का करीबी रहा राजेद्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन इस समय दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है और अपने गुनाहों के चलते सजा काट रहा है।