इजराइल और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद अपने नायाब और अनोखे मिशन के लिए जानी जाती है। कुछ ऐसा ही कारनामा करने की चाह में उसने अपने दुश्मन नंबर को खत्म करने का प्लान बनाया था। इस दुश्मन नंबर एक का नाम अली अकबर मोहतशामीपोर था। अली अकबर को मारने को लिए इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 1984 में एक “किताब बम” भेजा था लेकिन यह प्रयास असफल रहा था।

अली अकबर की ताकत का अंदाजा इजराइल को था, क्योंकि वह हिज़बुल्लाह जैसे संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक था। इसके अलावा जब साल 1978 में फ़िलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन (PLO) पर इजराइल ने हमला किया और लेबनान की धरती पर अपनी सेना उतारी थी, उसी दौरान अली अकबर ने लेबनान में शिया विद्रोहियों का गुट तैयार किया था, जिसका नाम हिज़बुल्लाह रखा गया था। बाद में इस गुट ने इजराइल के साथ बड़ी लंबी लड़ाई लड़ी थी और फिर आखिर में इजराइल ने अपनी सेना लंबे संघर्ष के बाद लेबनान से हटा ली थी।

फिर जब साल 1983 में लेबनान की राजधानी बेरूत में अमेरिकी दूतावासों और यूएस मरीन अड्डों पर हमला हुआ तो उसमें भी अली अकबर की संदिग्ध भूमिका बताई गई थी। इन दोनों घटनाओं में 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अमेरिका ने इसके पीछे हिजबुल्लाह और अली अकबर को जिम्मेदार माना था। तब तक अली अकबर अमेरिका और इजराइल दोनों की आंख में कांटें की तरह चुभने लगे थे।

इसके बाद साल 1984 आया और पूरी दुनिया में वेलेंटाइन डे धूमधाम से मनाया जा रहा था। 14 फरवरी को सीरिया की राजधानी दमास्कस के ईरानी दूतावास में पार्सल आया। उस पार्सल पर अली अकबर मोहतशामीपोर का नाम लिखा था। साथ ही संदेश था कि माननीय राजदूत के नाम। जब वह पार्सल अली अकबर के पास पहुंचा तो वह अचंभित थे। अली अकबर ने पार्सल खोला तो उसमें एक चिट्ठी और किताब आई थी।

अली अकबर को भेजी गई चिट्ठी में लिखा था -“हमारी दोस्ती को मजबूत बनाए रखने के लिए यह खास किताब स्वीकार करें..।” अली अकबर ने चिट्ठी पढ़ी और किनारे रखकर उन्होंने किताब खोली। बस फिर क्या था एक जोरदार धमाका हुआ और पूरे कमरे में केवल धुएं का गुबार और बारूद की गंध फैली हुई थी। अली अकबर का एक हाथ जमीन पर पड़ा था जबकि दूसरे हाथ की दो उंगलियां गायब थी। हालांकि, अस्पताल में अली अकबर की जान बच गई।

साल 2018 में आई एक किताब राइज एंड किल फर्स्ट: द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ़ इजराइल्स टार्गेटेड असैसिनेशंस में इस घटना का जिक्र करते हुए इज़रायली पत्रकार रॉनेन बर्गमैन ने दावा किया कि यह किताब मोसाद ने भेजी थी। रॉनेन बर्गमैन ने बताया कि मोसाद का प्लान अली अकबर को मारने का था लेकिन राजदूत ने यह किताब अपने चेहरे से दूर हटाकर खोली थी वर्ना परिणाम और भीषण होता।