पाकिस्तान में साल 1985 के समय जनरल ज़िया के शासनकाल में मोहम्मद ख़ान जुनेजो प्रधानमंत्री हुआ करते थे। उस वक्त पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय समुदाय, ख़ासकर अमेरिका के साथ बहुत अच्छे संबंध थे। लेकिन अमेरिका से अच्छे संबंध का खामियाजा 1985 और 86 में पाकिस्तान की आम जनता को भुगतना पड़ा, क्योंकि इस दौरान कराची के सड़कों पर एक गैंग ने कोहराम मचा रखा था। इसलिए आज कहानी कराची की सड़कों को खून से लाल करने वाले हथौड़ा गैंग की।

पाकिस्तान का शहर कराची शुरुआत से ही अपने-आप में मुख्य रहा। साल 1985 के अप्रैल महीने में मुल्तान के रहने वाले अल्लाह वासया ट्रेन से कराची पहुंचे। हालांकि, उन्हें क्लिफ्टन जाना था लेकिन रात ज्यादा होने के चलते वह स्टेशन पर ही सो गए। कुछ घंटों बाद उन्होंने अपने आप को खून से लथपथ पाया और उनके बगल में लेटे हुए दो अन्य लोगों को चोट के कारण मरा पाया। कुछ दिन बाद एक ब्रिज से थोड़ी दूर दो और शव मिले, फिर 21 अप्रैल को तीन और लोग मारे गए।

इसके बाद रेलवे ट्रैक पर एक शव मिला और 24 अप्रैल तक कुल नौ लोग एक ही तरह मारे जा चुके थे। फिर ल्यारी नदी के किनारे बसे एक गांव में सात लोगों को एक ही तरह मार डाला गया, इतनी मौतों के बाद पुलिस-प्रशासन हैरान था। फिर शुरू हुआ कराची के सड़कों को खून से लाल करने का सिलसिला, जिनमें कई मजदूर, राहगीर और भिखारी मारे गए। इन सबके बीच साल 1985 के अंत में हुई एक घटना में फिर से एक साथ आठ मजदूरों की बेरहमी से हत्या ने सभी को हिला दिया।

कराची के साथ-साथ रावलपिंडी, हजारा इलाके में भी हत्याएं हुई थी, ऐसे में सरकार ने एजेंसी गठित की। उन्हें लगा कि कोई सनकी सीरियल किलर होगा। एक पकड़ा भी गया लेकिन उसका कराची के हथौड़ा गैंग से कोई संबंध नहीं था। इसी दौरान हमले में घायल एक भिखारी ने इस गैंग के बारे में बताया कि वह कार से आते हैं और किसी भारी चीज से वार कर लोगों को मार डालते हैं। 1986 में मामले को सुलझाने के लिए सेना के अधिकारी को शामिल कर एक टीम बनाई गई।

टीम ने घटना से संबंधित हर कड़ी को जोड़ा और सबूत इकट्ठा किये। इसके बाद लंबे समय तक चली निगरानी के बाद ‘पाक लीबिया होल्डिंग’ नामक इन्वेस्टमेंट वेंचर से लीबियाई नागरिक को संदिग्ध माना गया। जांच में पता चला कि लीबिया होल्डिंग का प्रभारी अम्मार ही हथौड़ा ग्रुप को एक एयरपोर्ट अधिकारी की मदद से चला रहा था। उसने बताया कि अमेरिका से मित्रता के कारण वह (लीबिया की तरफ से) बदले की कार्रवाई कर रहे थे।

हथौड़ा ग्रुप में काम करने वाले लोग रोज शाम की फ्लाइट से लीबिया से कराची आते थे और कत्ल को अंजाम देकर सुबह की फ्लाइट से वापस लीबिया लौट जाते थे। यह पाकिस्तानी नागरिक ही थे, जो लिबिया में रहते थे। ये लोग कराची या पाकिस्तान में जिस इलाके के भी रहने वाले होते थे, वहीं के स्थानीय इलाके में वारदात को अंजाम देते थे। लेकिन इस मामले में पाक ने खास कुछ नहीं किया, उन्होंने अम्मार को नापसंदीदा व्यक्ति क़रार देकर लीबिया निर्वासित कर दिया गया।