खौफ का दूसरा नाम रहा रवि पुजारी आज खुद खौफ में है। इतना कि वो कर्नाटक हाईकोर्ट के पास जाकर रहम की भीख मांग रहा है। उसका कहना है कि पुलिस उसे हर उस केस में नहीं उलझा सकती जिनमे वो नामजद है। पुलिस केवल उन केसों में ही जांच कर सकती है जिनका ब्योरा भारत सरकार ने Extradition Order में दिया था। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन रवि पुजारी को साउथ अफ्रीका से गिरफ्तार कर भारत लाया गया है। रवि पुजारी को कर्नाटक के एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर अमर कुमार और उनकी टीम ने गिरफ्तार किया है। एडीजीपी ने बताया कि वो पिछले 20 महीनों से पुजारी को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच उसके बारे में एक लीड हाथ लगी और उन्होंने प्लान बनाकर पुजारी को पकड़ा।
पांडे ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि रवि पुजारी कैसा दिखता है। पुजारी दो दशकों से अधिक समय से पुलिस की गिरफ्त से फरार था। पुलिस के पास उसकी जो तस्वीर थी वो 1994 की थी। इंटरनेट पर उसकी कुछ तस्वीरें उपलब्ध थी, जिनमें से उसकी एक फोटो स्विमिंग पूल की थी। छानबीन के दौरान पता चला कि पुजारी वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) का इस्तेमाल करके लोगों से जबरन वसूली कर रहा है। लग रहा था कि वह अफ्रीका में है। फिर भारतीय दूतावास को कान्फिडेंस में लेकर ऑपरेशन चलाया गया। सेनेगल पुलिस ने पुजारी को 19 जनवरी 2019 को एक सैलून से गिरफ्तार किया।
महाराष्ट्र जेल में बंद है पुजारी
दरअसल, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या किसी विदेश से भारत में प्रत्यर्पित किए गए आरोपी पर अन्य अपराधों के मामले में मुकदमा चलाया जा सकता है। न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की एकल न्यायाधीश पीठ ने गैंगस्टर रवि पुजारी उर्फ रविप्रकाश द्वारा दायर याचिका पर स्पष्टीकरण मांगा है। पुजारी को साल 2020 में सेनेगल से भारत प्रत्यर्पित (extradited) किया गया था। फिलहाल वह महाराष्ट्र जेल में बंद है।
प्रत्यर्पण आदेश में उल्लेखित मामलों में ही मुकदमा चलाया जा सकता है
पुजारी की तरफ से यह याचिका वकील दिलराज जूड रोहित सिकेरा ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि पुजारी पर कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में 107 मामले दर्ज हैं। हालांकि, प्रत्यर्पण अदालत ने उन मामलों की सूची का उल्लेख किया था जिनमें पुजारी पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसलिए यह तर्क दिया गया है कि पुजारी से पूछताछ करना और प्रत्यर्पण आदेश में उल्लेखित मामलों के अलावा अन्य मामलों में मुकदमा चलाना प्रत्यर्पण अधिनियम की धारा 21 का उल्लंघन है। धारा 21 के अनुसार, जिस व्यक्ति का प्रत्यर्पण किया गया है उस पर केवल प्रत्यर्पण आदेश में उल्लिखित मामलों में ही मुकदमा चलाया जा सकता है, अन्य मामलों में नहीं।