1992 Fake Encounter Case: पंजाब के मोहाली में आर के गुप्ता की सीबीआई कोर्ट ने पंजाब पुलिस के तीन पुलिसकर्मियों को मई, 1992 के फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। फर्जी मुठभेड़ में तीन युवकों – हरजीत सिंह, लखविंदर सिंह और जसपिंदर सिंह को मारा गया दिखाया गया था। पंजाब के तीनों पूर्व पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर धर्म सिंह, एएसआई सुरिंदर सिंह और एएसआई गुरदेव सिंह पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना न भरने पर उनकी सजा तीन साल और बढ़ जाएगी।

सीबीआई कोर्ट ने पिछले हफ्ते इन तीन पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था

सीबीआई कोर्ट ने पिछले हफ्ते इन तीन पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था। मई 1992 के फर्जी मुठभेड़ मामले में एक मृतक हरजीत सिंह के पिता ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे हरजीत सिंह को मारने के लिए चुना गया था। पुलिस द्वारा 29 अप्रैल 1992 को अमृतसर जिले के सठियाला के निकट ठठियां बस स्टैंड से गिरफ्तार कर उसे अमृतसर के माल मंडी पूछताछ केंद्र में रखा गया था।

सीबीआई ने 1998 में दर्ज किया था मामला, जांच के दौरान पता चला सनसनीखेज सच

सीबीआई ने साल 1998 में यह मामला दर्ज किया था। अपनी जांच के दौरान सीबीआई ने पाया था कि हरजीत सिंह का दलजीत सिंह, सतबीर सिंह और एक अन्य व्यक्ति ने 29 अप्रैल, 1992 को बस स्टैंड ठठियां से अपहरण कर लिया था। 12 मई, 1992 को दो अन्य व्यक्तियों के साथ उसकी हत्या कर दी गई थी। लोपोके पुलिस स्टेशन के तत्कालीन SHO एसआई धर्म सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम द्वारा फर्जी मुठभेड़ की गई थी। उनके शवों को भी परिवार को नहीं सौंपा गया था और पुलिस द्वारा लावारिस के रूप में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

सीबीआई ने पंजाब पुलिस के नौ अधिकारियों के खिलाफ पेश किया था आरोप पत्र

इस मामले में सीबीआई ने पंजाब पुलिस के नौ अधिकारियों इंस्पेक्टर धर्म सिंह, एसआई राम लुभाया, हेड कांस्टेबल सतबीर सिंह, दलजीत सिंह, इंस्पेक्टर हरभजन राम, एएसआई सुरिंदर सिंह, एएसआई गुरदेव सिंह, एसआई अमरीक सिंह और एएसआई भूपिंदर सिंह के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। उनमें से पांच आरोपियों हरभजन राम, राम लुभाया, सतबीर सिंह, दलजीत सिंह और अमरीक सिंह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी। वहीं एक आरोपी भूपिंदर सिंह को घोषित अपराधी माना गया था।

इस मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई के लोक अभियोजक अशोक बागोरिया, सरबजीत सिंह वेरका, जगजीत सिंह बाजवा और पीड़ित परिवारों की ओर से पीएस नट साथी वकीलों के साथ पेश हुए थे।

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