EGI Manipur Report: आम लोगों के पैसे या चंदे (Crowdfunded) की मदद से बनी एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) की फैक्ट फाइंडिंग टीम के तीन सदस्यों के खिलाफ पुलिस ने केस (FIR) दर्ज किया है। ये तीनों पत्रकार हालिया जातीय संघर्ष की मीडिया रिपोर्टों को देखने के लिए मणिपुर गए थे। FIR में आरोप लगाया गया है कि EGI की टीम द्वारा पेश की गई रिपोर्ट “झूठी, मनगढ़ंत और प्रायोजित” है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जारी किया मणिपुर रिपोर्ट, राज्य सरकार पर उठाए सवाल

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने शनिवार को जारी मणिपुर रिपोर्ट में कहा कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जातीय संघर्ष के दौरान राज्य का नेतृत्व पक्षपातपूर्ण हो गया। रिपोर्ट में अपने निष्कर्ष सारांश (Concluding Summary) में राज्य के नेतृत्व पर कई टिप्पणियों के बीच कहा गया है, “इसे जातीय संघर्ष में पक्ष लेने से बचना चाहिए था, लेकिन यह एक लोकतांत्रिक सरकार के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही, इसे पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए था।”

EGI ने मणिपुर रिपोर्ट में वन विभाग के जल रहे एक कार्यालय को बताया कुकी हाउस

इंफाल स्थित सामाजिक कार्यकर्ता एन शरत सिंह ने 7 से 10 अगस्त तक मणिपुर आए तीन पत्रकारों सीमा गुहा, संजय कपूर और भारत भूषण के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराई है। एफआईआर में के रूप में ईजीआई अध्यक्ष का भी आरोपी जिक्र किया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि ईजीआई की मणिपुर रिपोर्ट में चुराचांदपुर जिले में एक जलती हुई इमारत की तस्वीर के लिए “कुकी हाउस” के रूप में कैप्शन दिया गया है। जबकि, इमारत वन विभाग का एक कार्यालय था जिसमें 3 मई को एक भीड़ ने आग लगा दी थी।

मणिपुर में मैतेइयों की ST दर्जे की मांग और कुकी जनजाति के विरोध से भड़की हिंसा

इस मामले में एक पुलिसकर्मी, उप-निरीक्षक (Sub Inspector) जंगखोलाल किपगेन द्वारा 3 मई की शाम को दर्ज की गई एक प्राथमिकी (FIR) में कहा गया है कि “बड़ी संख्या में गुस्साई भीड़” ने वन विभाग के कार्यालय को “आग या विस्फोटक पदार्थों” से तबाह कर दिया था। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) दर्जे की मैतेइयों की मांग को लेकर घाटी में बहुसंख्यक कुकी जनजातियाँ उनके खिलाफ हो गई थी। इसके बाद मणिपुर की राजधानी इंफाल से 65 किमी दूर पहाड़ी जिले में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी थी।

ईजीआई ने FIR पर नहीं दिया बयान, मणिपुर रिपोर्ट में गलती कबूली- सुधार का वादा

ईजीआई ने अभी तक एफआईआर दर्ज किए जाने पर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, मामला सामने आने के बाद ईजीआई ने रविवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में अपनी मणिपुर रिपोर्ट में गलती को स्वीकार किया और कहा कि इसमें “सुधार किया जा रहा है और एक अद्यतन मणिपुर रिपोर्ट जल्द ही अपलोड की जाएगी।” ईजीआई ने लिखा, “… हमें फोटो संपादन में हुई त्रुटि के लिए खेद है।”

ईजीआई ने मणिपुर रिपोर्ट में राज्य सरकार पर कई संगीन आरोप लगाया

ईजीआई ने मणिपुर रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य तख्तापलट से भागकर लगभग 4,000 शरणार्थियों के मणिपुर में प्रवेश करने के बाद मणिपुर सरकार ने सभी कुकी जनजातियों को “अवैध अप्रवासी” करार दिया। अपनी रिपोर्ट में ईजीआई ने कई कदम उठाने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के कदम के कारण चिन-कुकियों में नाराजगी पैदा हुई। रिपोर्ट में कहा गया है, “ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने कई पक्षपातपूर्ण बयानों और नीतिगत उपायों के माध्यम से कुकी के खिलाफ बहुमत के गुस्से को बढ़ावा दिया है।”

मणिपुर में जनसांख्यिकीय परिवर्तन के साथ ही स्वदेशी लोगों को खतरा बढ़ा

एफआईआर में सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि ईजीआई रिपोर्ट में मणिपुर में बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवासन के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे जनसांख्यिकीय परिवर्तन के साथ स्वदेशी लोगों को खतरा है। एफआईआर में एन शरत सिंह ने कहा, “मणिपुर में असामान्य जनसंख्या विस्फोट इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि जनसंख्या की असामान्य दशकीय बढ़त 169 प्रतिशत तक होने के कारण राज्य के नौ पहाड़ी उपखंडों के लिए 2001 की जनगणना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।”

मणिपुर में म्यांमार सहित पड़ोसी देशों से अवैध रूप से आने वाली बेहिसाब आबादी मौजूद

उन्होंने कहा, ”हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग ने मणिपुर की मतदाता सूची में 1,33,553 समान फोटो प्रविष्टियों की पहचान की है।” उन्होंने कहा कि डुप्लिकेट मतदाताओं को हटाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता ने एफआईआर में कहा, “…यह बहुत चिंताजनक है और यह इस तथ्य को साबित करता है कि मणिपुर में म्यांमार सहित पड़ोसी देशों से अवैध रूप से आने वाली कई बेहिसाब आबादी मौजूद है।”

ईजीआई रिपोर्ट में इम्फाल घाटी स्थित मीडिया को भी मैतेई समुदाय के पक्ष में पक्षपाती बताया

ईजीआई की मणिपुर रिपोर्ट में इम्फाल घाटी स्थित मीडिया को भी मैतेई समुदाय के पक्ष में पक्षपाती बताया गया। ईजीआई रिपोर्ट ने अपनी समापन टिप्पणी (Concluding Remark) में कहा, “मैतेई मीडिया, जैसा कि मणिपुर मीडिया जातीय संघर्ष के दौरान बन गया था, ने संपादकों के साथ सामूहिक रूप से एक-दूसरे से परामर्श करके और एक सामान्य कथा पर रजामंदी जताते हुए काम किया… ऐसा, ईजीआई टीम को बताया गया था। क्योंकि वे ऐसा नहीं करना चाहते थे कि पहले से ही अस्थिर स्थिति को और भड़काएं… हालाँकि, जातीय हिंसा के दौरान इस तरह के दृष्टिकोण का नकारात्मक पक्ष यह है कि यह आसानी से एक सामान्य जातीय कथा गढ़ सकता है और क्या रिपोर्ट करना है और क्या सेंसर करना है यह तय करके पत्रकारिता सिद्धांतों के सामूहिक पतन का कारण बन सकता है।”

ईजीआई की मणिपुर रिपोर्ट के आरोपों पर स्थानीय मीडिया संगठनों ने दिया जवाब

ईजीआई की मणिपुर रिपोर्ट में स्थानीय मीडिया पर लगाए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने कहा कि उन्होंने “आधी-अधूरी तथाकथित फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताई है, जो केवल चार दिनों में पूरी हो गई थी।” मणिपुर पत्रकार समूह और मणिपुर एडिटर्स गिल्ड ने बयान में कहा, “रिपोर्ट में कई तर्क और गलत प्रस्तुतियां हैं जो राज्य में पत्रकार समुदाय, विशेष रूप से इंफाल स्थित समाचार आउटलेट्स की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं।”

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ईजीआई ने मणिपुर रिपोर्ट तैयार करने के लिए आम लोगों से मांगी आर्थिक मदद

ईजीआई के तीनों पत्रकार रिपोर्ट तैयार करने के लिए आम लोगों के पैसे से पोषित (Public Funded) दौरे पर मणिपुर आए थे। ईजीआई ने 26 जुलाई को एक्स पर पोस्ट किया, जिसमें “मणिपुर जातीय संघर्षों के मीडिया कवरेज का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग मिशन” के लिए दान मांगा गया। ईजीआई ने पोस्ट में कहा, “स्वयं की जवाबदेही और प्रेस के आचरण पर प्रतिबिंब के लिए इस अहम प्रैक्टिस के लिए भुगतान करने में हमारी मदद करें। मिशन के खर्चों के लिए योगदान करें।”

ईजीआई टीम को मिले दान या चंदे के स्रोतों की जांच करने पर विचार कर रही सरकार

एनडीटीवी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि वे तीन सदस्यीय ईजीआई टीम को मिले दान या चंदे के स्रोतों की जांच करने पर विचार कर रहे हैं। क्योंकि निहित स्वार्थ वाले दानदाताओं द्वारा प्रभावित होने की संभावना के कारण इस तरह की संवेदनशील कवायद के लिए क्राउडफंडिंग एक गलत कदम हो सकता है। इस मामले को लेकर इंफाल से दिल्ली तक तमाम तरह की चर्चा सामने आ रही है।