दिल्ली पुलिस ने एक किडनी रैकेट का भंडाफोड़ कर एक निजी डॉक्टर सहित दस लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि इस रैकेट से जुड़े आरोपी दिल्ली-एनसीआर में कथित तौर पर बेघर और जरूरतमंद लोगों को किडनी बेचने का लालच देते थे। फिर अवैध रूप से प्रत्यारोपण करते थे। पुलिस ने इस किडनी रैकेट से जुड़े मामले में दिल्ली, सोनीपत और गोहाना में कई छापेमारी की थी।

जानकारी के अनुसार, रैकेट का भंडाफोड़ करने वाले अधिकारियों ने कहा कि गिरोह के सदस्य गरीब और असहाय लोगों की तलाश में अस्पताल, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य धार्मिक स्थलों पर जाते थे। फिर उन्हें अपनी किडनी बेचने का लालच देते थे। सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट ने पिछले छह महीनों में 15 से अधिक अवैध प्रत्यारोपण कराए हैं। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय इस गिरोह से जुड़े आरोपियों की पहचान डॉ सौरभ मित्तल, सर्वजीत, शैलेश पटेल, विकास, मोहम्मद लतीफ, रंजीत गुप्ता, सोनू रोहिल्ला, कुलदीप रे विश्वकर्मा, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी के रूप में हुई है। जबकि इस रैकेट से जुड़ा एक अन्य आरोपी बिपिन अभी फरार है।

पुलिस को ऐसे मिला था क्लू: पुलिस ने कहा कि उन्हें 26 मई को गिरोह के बारे में जानकारी मिली थी। पुलिस, पिंटू कुमार यादव नाम के शख्स से मिली, जिसने बताया कि पेट दर्द के इलाज के बहाने सर्वजीत और बिपिन नाम के दो लोग उसे हौज खास की एक लैब में ले गए थे। लेकिन जैसे ही पिंटू को पता चला कि वे उसकी किडनी निकालने के लिए वहां ले गए थे, तो उसकी दोनों से बहस हो गई थी। जिसके बाद, दोनों लोग लैब से चले गए थे। इसी क्रम में पुलिस ने सर्वजीत को गिरफ्तार कर लिया और गुजरात के एक अन्य पीड़ित रघु शर्मा से मिली थी, जिसकी किडनी पहले ही निकाल ली गई थी।

पुलिस ने क्या बताया: डीसीपी (दक्षिण) बेनिता मैरी जैकर ने कहा, सूचना के आधार पर पुलिस ने पश्चिम विहार में डीडीए के फ्लैटों पर छापा मारा था। इसमें असम, पश्चिम बंगाल और केरल के तीन पीड़ितों को छुड़ाकर शैलेश पटेल नाम के शख्स को अरेस्ट कर लिया गया था। जैकर ने आगे कहा कि सर्वजीत और शैलेश जरूरतमंद लोगों को विकास और सोनू रोहिल्ला के पास लाते थे, जो उन्हें 30 से 40 हजार रुपये का भुगतान करते थे। डीसीपी ने बताया कि इसी क्रम में हौज खास लैब में फील्ड बॉय का काम करने वाले एक अन्य आरोपी मोहम्मद लतीफ को भी गिरफ्तार किया गया है। वह पीड़ितों को जांच के लिए डायग्नोस्टिक सेंटर ले जाता था।

सभी आरोपियों को बांटा गया था काम: इस किडनी रैकेट के गिरोह से जुड़े लोगों का अलग-अलग काम था। आरोपियों में विकास लोगों को पश्चिम विहार में रहने की व्यवस्था करता था, जबकि रंजीत गुप्ता उन्हें कार से गोहाना के एक अस्पताल ले जाता था। पुलिस ने गोहाना में अवैध किडनी प्रत्यारोपण के लिए एक सेट-अप भी जब्त किया है। इसके बाद पुलिस ने विकास, रंजीत और सोनू रोहिल्ला को गिरफ्तार किया। फिर जांच में सामने आया कि शहर के बड़े अस्पतालों के डॉक्टर और तकनीशियन भी इस अवैध काम में शामिल हैं।

बड़े अस्पताल के डॉक्टर भी रैकेट से थे जुड़े: पुलिस ने कहा, इस मामले में दिल्ली के बीएलके-मैक्स अस्पताल के एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ सौरभ मित्तल को भी गिरफ्तार किया गया है। वहीं, बीएलके अस्पताल ने कहा, हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और हम जांच में अधिकारियों की मदद कर रहे हैं। डॉ मित्तल की गिरफ्तारी के साथ ही तीन और आरोपियों को दिल्ली और सोनीपत से गिरफ्तार किया गया है, जिनमें रैकेट का कथित मास्टरमाइंड कुलदीप रे विश्वकर्मा, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी शामिल है।