दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वकील सद्र आलम ने अस्थाना के खिलाफ याचिका दायर करते हुए उनकी नियुक्ति, अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति और सेवा विस्तार को रद्द करने की मांग की थी।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने मंगलवार को इस याचिका को खारिज करते हुए अपना फैसला सुना दिया। इससे पहले पिछले महीने में आदेश सुरक्षित रख लिया गया था। अदालत ने इससे पहले मामले में सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के हस्तक्षेप के आवेदन को भी अनुमति दी थी।

याचिका का विरोध करते हुए केंद्र ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट का प्रकाश सिंह का फैसला दिल्ली पर लागू नहीं होता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले महीने अदालत में कहा था कि याचिकाकर्ताओं के पास राकेश अस्थाना के खिलाफ कुछ व्यक्तिगत प्रतिशोध हो सकता है लेकिन जनहित याचिका इसका निपटाने का मंच नहीं है।

मेहता ने कहा कि दिल्ली में कोई राज्य कैडर नहीं है और प्रकाश सिंह का फैसला केवल राज्यों के पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति पर लागू होता है। केंद्र ने कोर्ट को अपने लिखित जवाब में यह भी कहा कि अस्थाना को राष्ट्रीय राजधानी में हालिया कानून-व्यवस्था की स्थिति पर “प्रभावी पुलिसिंग” प्रदान करने के लिए लाया गया है।

सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि प्रकाश सिंह का फैसला इसपर भी लागू होता है। इस तरह का निष्कर्ष निकाल लेना कि कोई अन्य अधिकारी इस पोस्ट के लिए फिट नहीं पाया गया, केवल संघ लोक सेवा आयोग से आ सकता है। अपने आप तय करने का सवाल कहां है कि कोई भी फिट नहीं है। यह एजीएमयूटी कैडर के अधिकारियों का मनोबल गिराने वाला फैसला है।

अस्थाना ने भी पिछले महीने अपनी नियुक्ति का बचाव किया था। उनके वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि आलम की जनहित याचिका वास्तविक जनहित याचिका नहीं है। ये किसी के लिए एक प्रॉक्सी है जो सामने नहीं आना चाहता है।

बता दें कि राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के अधिकारी हैं। सीबीआई में रहने के दौरान तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा से इनका विवाद हुआ था और दोनों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। वर्मा के द्वारा 15 अक्टूबर, 2018 को अस्थाना के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज करवायी गयी थी। बाद में अस्थाना को आरोप मुक्त कर दिया और उन्हें 2020 में बीएसएफ का प्रमुख नियुक्त किया गया था। जिसके बाद रिटायरमेंट से 4 दिन पहले उन्हें दिल्ली पुलिस कमिश्नर बना दिया। दिल्ली के कमिश्नर बनने के बाद अस्थाना को सेवा विस्तार भी मिल गया था और उनका कार्यकाल जुलाई 2022 तक है।