कहा जाता है कि होनहारों के लिए नंबर्स कोई मायने नहीं रखते हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी शख्सियत कि स्कूल में पढ़ाई के दिनों में ज्यादा तेज-तर्रार नहीं थे लेकिन जिंदगी में बड़ी सफलता हासिल की। उत्तराखंड के देहरादून के रहनेवाले सिद्धार्थ बहुगुणा ने 10वीं की पढ़ाई देहरादून और 12वीं की पढ़ाई दिल्ली से की थी। सिद्धार्थ के पिता वन विभाग में डायरेक्टर जनरल थे। एक साक्षात्कार में सिद्धार्थ बहुगुणा ने कहा था कि जिंदगी में हमेशा सफलता को बेहतर अंकों से नहीं आंका जाना चाहिए। उन्होंने बताया था कि स्कूलिंग के दौरान में कक्षा के टॉप 3 बच्चों में शुमार नहीं थे। 7वीं क्लास में तो उन्हें सिर्फ पासिंग मार्क्स आए थे औऱ वो फेल होने से बड़ी मुश्किल से बच सके थे। हालांकि, 10वीं औऱ 12वीं में उन्होंने अच्छे नंबर हासिल किए थे।
सिद्धार्थ बहुगुणा ने दिल्ली IIT से साल 2005 में बीटेक पूरा किया। इसके बाद उन्होंने पीडब्लूसी और प्राइस वॉटर कूपर हाउस कंपनी में जॉब भी किया। होनहार सिद्धार्थ बहुगुणा ने इसके बाद सिविल सर्विस की परीक्षा देने का मन बनाया। लेकिन ऐसा नहीं है कि पहली ही बार में सिद्धार्थ को देश के इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता मिल गई।
साल 2007 से सिद्धार्थ बहुगुणा ने सिविल सर्विस की परीक्षा देने की शुरुआत की। लगातार तीन प्रयासों में वो सफल नहीं हो सके। चौथे प्रयास में सिद्धार्थ ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर लिया। सिद्धार्थ बहुगुणा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कम नंबर आने पर डरें नहीं। खुद को कमजोर मानकर जिंदगी से हार न मानें क्योंकि 12वीं कक्षा के परिणाम आपकी मंजिल नहीं है। अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मेहनत करें और अपने सपनों को सच करें।
कम नंबर आने पर बच्चों के माता-पिता को बहुत सहयोग करने की जरूरत है। वे बच्चों पर दवाब न बनाएं। हमेशा बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें, क्योंकि लाइफ में उन्होंने बहुत से उतार-चढ़ाव और मुश्किल हालात का सामान किया है तो अपने अनुभवों से बच्चों को समझाएं। आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करें।