1993 मुंबई बम विस्फोट में दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया था। दाऊद इब्राहिम तबतक मुंबई से बाहर जा चुका था, लेकिन उसके गुर्गे अभी भी मुंबई में मौजूद थे। इस घटना को अंजाम देने के बाद उसका गैंग मुंबई में कमजोर होता गया। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वह दुबई से अपना राज चलाता है, लेकिन कुछ में उसके पाकिस्तान में मौजूद होने की बात कही गई। दाऊद के जीवन की पहली चोरी का किस्सा हुसैन जैदी ने अपनी किताब ‘डोंगरी टु दुबई: सिक्स डिकेड ऑफ मुंबई माफिया’ में बताया है।

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दाऊद इब्राहिम उन दिनों हाजी मस्तान के लिए काम करता था। लेकिन वह काम करने नहीं बल्कि अपने कालो कामों को आगे बढ़ाने के लिए आया था। इसलिए उसने हाजी मस्तान की ही अटैची लूटने का एक प्लान बनाया। ये अचैची मरीन लाइंस से होकर मालाबार हिल्स तक जानी थी। दाऊद ने अपने साथ दो लड़कों को भी शामिल कर लिया। इन लड़कों के साथ मिलकर वह लूट करने के लिए निकला और सबसे खास बात थी कि ये लड़के भी हाजी मस्तान के दुश्मन थे क्योंकि कभी उनसे उन्हें पिटवाया था।

ये दाऊद के जीवन की एक तरह से पहले डकैती भी थी और ये सभी लड़के नए भी थे। उन्हें कोई आइडिया नहीं था और सिर्फ फिल्में देखकर ही उन्होंने सारा आइडिया लिया था। गाड़ियों को जब फॉलो करने की शुरुआत की गई तो सबकी निगाह से वह बच निकले किसी तरह दाऊद उस गाड़ी को रोक पाने में कामयाब हो गया। बाद में उन सबने मिलकर चोरी तो कर ली, लेकिन इसमें एक बड़ी भूल हो गई। ये सामान एक बैंक का निकला।

दाऊद को खुद थाने लेकर गए पिता: अब दाऊद ने हाजी मस्तान नहीं बल्कि बैंक का सामान लूटा था। दाऊद के पिता उसकी इन हरकतों से पहले ही नाराज रहते थे उन्हें जैसे ही इस बारे में खबर लगी वह बहुत नाराज हो गए। दाऊद के पिता इब्राहिम कासगर मुंबई पुलिस में थे और उन्होंने दाऊद को बेल्ट से पीटना शुरू कर दिया। वह गुस्से में दाऊद को पीटते रहे और वह सिर्फ चीखता रहा। उस पूरी रात मोहल्ला सिर्फ दाऊद की चीखें सुन रहा था। अगली सुबह वह दाऊद इब्राहिम को थाने लेकर पहुंचे, लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी।