मुंबई अंडरवर्ल्ड में कई ऐसे गैंगस्टर रहे जो काफी खतरनाक रहे लेकिन उनके बारे में लोगों ने बहुत कम जाना, सुना या पढ़ा। दाउद इब्राहिम, छोटा राजा, छोटा शकील सहित कई नामों के अलावा दिलीप बुवा नाम का एक गैंगस्टर था। दिलीप बुवा कुख्यात अपराधी माया डोलस का साथी था और डी कंपनी के लिए काम करता था। साल 1991 में हुए लोखंडवाला के शूटआउट में दिलीप बुवा भी माया डोलस के साथ मारा गया था।
मुंबई के कांजूरमार्ग में 1966 को जन्में दिलीप बुवा का बचपन अपराधियों की संगत में ही बीता था। कांजूरमार्ग से कुछ दूरी पर ही घाटकोपर का इलाका था, जिसे मुंबई के माफियाओं का ठिकाना कहा जाता था। दिलीप बुवा थोड़ा बड़ा हुआ तो चोरी और लूटपाट करने लगा। इसी बीच उस पर BRA गैंग की रमा नाइक की नजर पड़ी और फिर दिलीप बुवा नाइक के साथ लग गया।
1984 के साल तक दिलीप बुवा मुंबई का सबसे बड़ा शार्प शूटर बन गया। इसके अलावा दिलीप बुवा रमा नाइक का बॉडीगार्ड भी था, लेकिन अनबन के चलते दिलीप दाउद के साथ मिल गया। रमा नाइक और दाउद गैंग में दुश्मनी पुरानी थी क्योंकि BRA गैंग के तीसरे हिस्से अरुण गवली ने दाउद को बहुत नुकसान पहंचाया था। वहीं रमा नाइक ने दाउद के धंधे में इतने अड़ंगे डाले थे कि डी-कंपनी परेशान हो गई।
दाउद इब्राहिम के इशारे पर छोटा राजन ने दिलीप बुवा को काम दिया कि वह रमा नाइक को ख़त्म कर दे। चूंकि, दिलीप पहले उसके साथ रहता था तो दाउद को पता था कि वह काम आसानी से निपटा देगा। एक दिन रमा नाइक पर दिलीप बुवा ने हमला किया लेकिन इस घातक हमले में रमा बच गया। इसके बाद दिलीप बुवा दाउद के सहयोगी माया डोलस के जुड़ गया।
80 के दशक के आखिरी सालों में दाउद और छोटा राजन ने देश छोड़ दिया। अब दोनों दुबई से बैठकर डी-कंपनी चलाने लगे और इस काम को राजन देखता था। साल 1988 में रमा नाइक को एनकाउंटर में मार गिराया गया। दिलीप बुवा और माया डोलस ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर 90 का दशक आते-आते खूब आतंक मचाया।
दाउद का संरक्षण मिलने की वजह से रंगदारी, अपहरण और फिरौती दिलीप और माया जैसे गैंगस्टर्स के लिए खेल सा हो चुका था। इसी बीच वह पुलिस की नजरों पर भी चढ़ गए। बताया जाता है कि कुछ ही महीनों में दिलीप बुवा और माया दोनों दाउद के बस के नहीं रहे। धीरे-धीरे दोनों ने अपना गैंग बनाया और मनमाने ढंग से बड़े बिल्डर और कारोबारियों से जमकर रंगदारी वसूली। इस दौरान दिलीप बुवा हत्या मामलों में जेल भी गया लेकिन बाहर आते ही फिर से पुराना काम शुरू कर दिया।
माफियाराज से दिनों-दिन मुंबई की जनता परेशान थी और पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। इसी दौरान 1991 में मुंबई एटीएस को सूचना मिली कि लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में दिलीप बुवा, माया डोलस जैसे गैंगस्टर्स स्वाति बिल्डिंग के ए विंग के एक फ्लैट में फिरौती को लेकर मीटिंग कर रहे हैं। ऐसे में लोखंडवाला में चले दो घंटे के शूटआउट में दिलीप बुवा, माया डोलस सहित 5 अन्य गैंगस्टर्स को मार गिराया गया।
यह शूटआउट इसलिए भी चर्चा में आया था क्योंकि एनकाउंटर के लाइव फुटेज दूरदर्शन समेत कई टीवी चैनल्स पर चल गए थे। ऐसे में मुंबई एटीएस पर आरोप लगा कि उन्होंने जानबूझकर इस एनकाउंटर का प्रसारण टीवी चैनलों पर कराया गया था। हालांकि, बाद में मुंबई पुलिस की तरफ से सफाई में कहा गया था कि जब खबर चैनलों में फ़्लैश हुई तब तक एनकाउंटर ख़त्म हो चुका था।