आज कहानी उत्तर भारत के उस कुख्यात डकैत की जिसका जन्म चित्रकूट में साल 1972 में हुआ। परिवार ने उसका नाम अंबिका पटेल रखा। थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल गया और फिर मन में डॉक्टर बनने के सपने संजोए लेकिन बहन के साथ हुई एक घटना ने उसे खूंखार डकैत में तब्दील कर दिया। इसी अंबिका पटेल को कुछ सालों बाद लोगों के बीच डकैत ठोकिया के नाम से जाना गया। जिस पर यूपी सरकार ने 5 लाख का इनाम रखा था।

अंबिका पटेल का जन्म चित्रकूट के लोखरिया गांव में हुआ था। अंबिका बड़ा हुआ तो ढंग से पढ़ाई-लिखाई की और ग्रेजुएशन किया। साल 1992 में अंबिका को पता चला कि उसकी बहन के साथ एक लड़के ने दुर्व्यवहार किया है तो वह पुलिस के पास गया। लेकिन वहां से दुत्कार मिली तो पंचायत बुलाई। इस पंचायत में भी उसे न्याय नहीं मिला उल्टा उसके परिवार पर ही सवाल खड़े कर दिए गए। अंबिका ने लड़के से शादी के लिए कहा तो उसने मना कर दिया।

यही वह घटना थी जिसने अंबिका को झकझोर कर रख दिया। अंबिका ने लड़के की हत्या की और बीहड़ों में ददुआ के पास शरण ले ली। इधर जिस लड़के की हत्या की गई वह डाकू ओमनाथ का रिश्तेदार था। ददुआ गिरोह के साथ अंबिका ने लूट, अपहरण जैसी कई वारदातों को अंजाम दिया। फिर उसने कुछ सालों बाद 2003 में डाकू ओमनाथ के घर पर हमला बोलकर 6 लोगों की हत्या कर दी और उसके घर में आग लगा दी, यहीं से उसका नाम ठोकिया पड़ गया।

हालांकि, इस घटना में डाकू ओमनाथ बच निकला था। इस कांड के बाद ठोकिया का एमपी, यूपी और राजस्थान के बॉर्डर इलाके में आतंक हो गया और कुछ ही सालों में करीब 80 मुकदमें दर्ज हो गए। फिर साल 2007 में मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने डकैतों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया और फिर एसटीएफ ने जुलाई 2007 में ददुआ को ढेर कर दिया। लेकिन इसी तारीख की रात में ददुआ को मारकर लौट रही एसटीएफ की टीम एक दलदली इलाके में फंस गई और ठोकिया ने 6 पुलिसवालों को घेर कर मार डाला।

छह जवान शहीद होने के बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई, लेकिन दो साल तक ठोकिया पकड़ में नहीं आया। साल 2008 के अगस्त में पता चला कि ठोकिया कर्वी इलाके में आने वाला है। पुलिस ने बिना देरी किये सिलखोरी के जंगलों में घेर लिया। फिर शाम को 7 बजे दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। यह मुठभेड़ रुक-रूककर करीब 7 घंटे तक चली और फिर ठोकिया मार गिराया गया।