India Lockdown: उत्तराखंड के राहत कैंप में एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई। मृतक मजदूर का नाम नेत्रपाल बताया जा रहा है। 42 साल के नेत्रपाल की मौत के बाद उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि राहत कैंप में उन्हें खाने के लिए सिर्फ उबला हुआ चावल दिया जाता था। जिसके बाद उन्होंने कैंप में खाना खाने से मना कर दिया और फिर भुखमरी से उनकी मौत हो गई। नेत्रपाल उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के रहने वाले थे। इस मामले में मजिस्ट्रेट स्तर की जांच बैठाई गई है।
बताया जा रहा है कि रूरकी के एक कैंप में नेत्रपाल ठहरे हुए थे जहां उनकी मौत हुई है। नेत्रपाल के बेटे अजय ने मीडिया को बताया कि उनके पिता ऋषिकेश में सैलून चलाते थे। अजय के मुताबिक होली में उनके पिता अंतिम बार घर आए थे और फिर ऋषिकेश चले गए थे। लेकिन लॉकडाउन होने के बाद उनके पिता बेरोजगार हो गए थे और इसीलिए उन्होंने घर वापस आने का फैसला किया था।
’28 मार्च को एक पूरा दिन पैदल चलने के बाद वो रूरकी के पास बने एक शेल्टर में पहुंचे थे। यहां गांव के प्रधान ने उन्हें खाना खिलाया। लेकिन बाद में पुलिस उन्हें लेकर दूसरे कैंप में चली गई।
अजय के मुताबिक 15 अप्रैल को उनके पिता ने उन्हें अंतिम बार फोन किया था और पेट दर्द की शिकायत की थी। परिजनों का कहना है कि उनके पिता की मौत के बाद प्रशासन ने उन्हें सूचना भी नहीं दी। उन्हें इसके बारे में राहत कैंप में रह रहे दूसरे लोगों ने जानकारी दी थी।
अब इस पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी ज्वायंट मजिस्ट्रेट को दी गई है। हरिद्वार के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट सी. रविशंकर ने बताया कि नेत्रपाल की मौत 16 अप्रैल को हो गई थी।
ऋषिकेश स्थित AIIMS में नेत्रपाल का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। अभी उनके पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है। मृतक के परिजनों का कहना है कि अलीगढ़ के डीएम ने इस मामले में उन्हें मदद करने का भरोसा दिया है।
इधर इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी के एक नेता ज़मीरउल्लाह खान ने आरोप लगाया है कि नेत्रपाल की मौत भूख से हुई है। उन्होंने उनके आश्रितों को उचित मुआवजा दिये जाने की मांग भी की है।

