भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सोमवार को बड़ी कंपनियों पर अपने कॉमर्शियल कानून के मामलों का प्राथमिकता से सुनवाई के लिए मेंशन करने पर नाराजगी व्यक्त की। सीजीआई रमना ने कहा कि मेंशन प्रणाली को सही किया जा रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अकेले कॉरपोरेट मामले प्राथमिकता सूची में न हों।
4 सितंबर 2021 तक कुल 69,956 मामले शीर्ष अदालत में लंबित हैं। इसमें से 18,575 नियमित सुनवाई के मामले हैं। सीजीआई ने कहा- “हम अभी भी व्यवस्था को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। सभी कॉरपोरेट लोग कैसे आ सकते हैं, और याचिका को कैसे मेंशन कर सकते हैं? आपराधिक अपील और अन्य मामले भी लंबित हैं।”
शीर्ष अदालत के समक्ष 446 संविधान पीठ की याचिकाएं भी लंबित हैं, हालांकि उनमें से केवल 49 मुख्य मामले हैं, जबकि 397 संबंधित याचिकाएं हैं।
वहीं दूसरी ओर एक और मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि वो पुलिस अधिकारी जो सरकार के साथ तालमेल बिठाते हैं और अवैध रूप से पैसा कमाते हैं, अनिवार्य रूप से पेबैक टाइम का सामना करते हैं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि ऐसे पुलिस वालों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए, उन्हें जेल होनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश रमना की कोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निलंबित आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन पर आय से अधिक संपत्ति और देशद्रोह के आरोप लगे हैं। यह तीसरा ऐसा मामला है जिसमें गुरजिंदर पाल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा मांगी है। अदालत ने उन्हें पहले के दो मामलों में अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
चीफ जस्टिस ने कहा- “आप हर मामले में सुरक्षा नहीं ले सकते। आपने पैसा वसूलना शुरू कर दिया क्योंकि आप सरकार के करीबी हैं। यही होता है जब आप सरकार के साथ हैं और ये काम करते हैं। आपको एक दिन वापस भुगतान करना होगा। हम ऐसे अधिकारियों को सुरक्षा क्यों दें। यह देश में एक नया चलन आ गया है।”
गुरजिंदर पाल सिंह के वकील ने तब अनुरोध किया कि उनके जैसे अधिकारियों को सुरक्षा की आवश्यकता है। हालांकि, अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा- “नहीं, उन्हें जेल जाना होगा”।