Chhota Rajan Latest News: अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को नाक के ऑपरेशन के लिए दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन के लिए छोटा राजन को वॉर्ड में भर्ती किया गया है, वहां पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पीटीआई के एक विशेष अदालत ने गैंगस्टर छोटा राजन को होटल बिजनेसमैन जय शेट्टी की 2001 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है।
दरअसल, एक विशेष अदालत ने गैंगस्टर छोटा राजन को होटल बिजनेसमैन जय शेट्टी की 2001 में हुई हत्या के मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने गैंगस्टर छोटा राजन को एक लाख के मुचलके पर बुधवार को जमानत दे दिया लेकिन वो अब भी दिल्ली की तिहाड़ जेल में ही बंद है क्योंकि वो पहले से ही 2011 में पत्रकार ज्योतिर्मय की हत्या के लिए सजा काट रहा है। हालांकि, 23 साल पुराने मामले में कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले ने लोगों को चौंका दिया है।
- नाक के ऑपरेशन के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती है छोटा राजन
- छोटा राजन पर 70 से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं
- सिनेमा की टिक करता था ब्लैक
- डी-कंपनी के राज में अपराध की दुनिया में रखा कदम
- 1980 में बड़ा राजन डॉन के गैंग का सदस्य
- अंडलवर्ल्ड के डॉन का बना दाहिना हाथ
- 1992 ब्लास्ट के बाद दोनों के बीच की बढ़ी दूरी
- 2015 में इंडोनेशिया पुलिस की गिरफ़्त में आया
राजेंद्र कैसे छोटा बना राजन?
छोटा राजन अंडर वर्ल्ड का बड़ा नाम है, जिस पर 70 संगीन मामलों के आरोप है। उसकी गिरफ्तारी के लिए की गई भारतीय पुलिस की मशक्कत से स्पष्ट है कि अपराध की जगत में उसका कद क्या रहा होगा। चलिए बताते हैं कि डी-कंपनी के राज में बम्बई की गलियों में छोटी-छोटी घटनाओं को अंजाम देने वाला राजेंद्र कैसे छोटा राजन बन गया, बात सत्तर के दशक की है। बम्बई में डी-कंपनी बड़ी तेजी फल फूल रहा था। दाऊद इब्राहिम का पूरी बम्बई पर राज चलता था। लोग डी कंपनी के नाम से खौफ खाते थे। इधर, राजेंद्र ने अपराध की गलियों में अभी कदम ही रखा था।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र निखलजे है। वह बम्बई के चैंबूर इलाके में सिनेमा की टिकटें ब्लैक किया करता था। पुलिस ने जब उसको एक बार ऐसा करते हुए पकड़ लिया था तो उसने बिना डरे पुलिसवालों की ही लाठी छीनकर उनकी पिटाई कर दी थी।
कैसे आया दाऊद इब्राहिम की नजर में?
धीरे-धीरे वो अपराध की दुनिया में पूरी तरह घुस गया और आखिरकार सन 1980 में बड़ा राजन गैंग का सदस्य बन गया। हालांकि, बड़ा राजन की हत्या कर दी गई। ऐसे में राजेंद्र निखलजे ने बदला लेने का एलान कर दिया। बदला लेने की कोशिशें तो नाकाम रहीं लेकिन वो डी कंपनी के बॉस दाऊद इब्राहिम की नजर में आ गया। इसका असर ये हुआ कि वो दाऊद की कोर टीम में शामिल हो गया और धीरे-धीरे अंडलवर्ल्ड के डॉन का दाहिना हाथ बन गया। उसके आदेश के बिना गैंग के सदस्यों का बम्बई में किसी तरह की कोई घटना को अंजाम देना नामुंकिन हो गया।
ऐसे में गैंग के पुराने सदस्यों ने जलन के कारण दाऊद को उसके खिलाफ भड़काना शुरू किया। वे कहने लगे अगर उसे काबू में नहीं किया तो वो बागी बन जाएगा। इस बात का दाऊद पर असर पड़ा और वो राजेंद्र को महत्वपूर्ण मामलों से अलग रखने लगा। वहीं, सन 1992 ब्लास्ट के बाद दोनों के बीच की दूरी और बढ़ गई। कारण ये कि इस घटना की प्लानिंग से उसे एकदम अगल रखा गया था।
ऐसे हुई बदले की कहानी की शुरुआत
सन 1993-94 में दूरी बहुत ज्यादा बढ़ गई हालांकि, रिश्ते का अंत और बदले की कहानी की शुरुआत तब हुई जब उसे ये पता चला कि दाऊद की दुबई में आयोजित पार्टी में जहां वो शामिल होने वाला था में उसकी हत्या की फुल प्लानिंग कर ली गई है। इस बात से उसे धक्का पहुंचा। खैर वो भारतीय दूतावास की मदद से दुबई से भागने में सफल रहा लेकिन दाऊद के साम्राज्य का अंत उसका मकसद बन गया।
भारतीय पुलिस को चकमा देकर कैसे भागा था राजन?
पुलिस ने कई बार छोटा राजन को गिरफ्तार करने की कोशिश की लेकिन वो पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहा। एस बार भारतीय एजेंसियों को सूचना मिली कि छोटा राजन बैंकॉक के एक अस्पताल में अपनी पहचान छिपा कर इलाज करा रहा है। उन्होंने राजन के प्रत्यर्पण की कोशिश शुरू कर दी। सीबीआई की एक टीम थाईलैंड जाने की तैयारी करने लगी। इसी बीच अपने वफादार विक्की की मदद से वो अस्पताल की खड़की से फरार होने में सफल रहा। विक्की को छोटा राजन का दाहिना हाथ माना जाता है।
हालांकि, छोटा राजन के ख़िलाफ़ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। ऐसे में साल 2015 में वो बाली में इंडोनेशिया पुलिस की गिरफ़्त में आ गया। फिर भारतीय पुलिस उसका प्रत्यर्पण कर दिल्ली ले आई। तब से वो तिहाड़ जेल में बंद है। जबकि दाऊद अब भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है।