छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की एक अदालत ने 2017 के बुरकापाल नक्सली हमले के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए 121 आदिवासी लोगों को बरी कर दिया है, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 25 जवान शहीद हो गए थे। दंतेवाड़ा में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने पांच साल से जेल में बंद आदिवासियों को शनिवार को रिहा करने के आदेश दिए। अदालत ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ बुरकापाल हमले में माओवादियों की कथित रूप से मदद करने के कोई ठोस सबूत नहीं थे।

क्या था मामला: 24 अप्रैल, 2017 की शाम को केंद्रीय पुलिस रिजर्व बल (सीआरपीएफ) की 74वीं बटालियन पर बुरकापाल गांव से 100 मीटर दूर माओवादियों की भारी गोलीबारी में इंस्पेक्टर रैंक के एक अधिकारी समेत 25 जवान शहीद हो गए थे। हमले के बाद अगले कुछ दिनों में, छत्तीसगढ़ पुलिस ने चिंतागुफा पुलिस स्टेशन में छह गांवों- बुरकापाल, गोंडापल्ली, चिंतागुफा, तलमेटला, कोराइगुंडम और तोंगुडा के कुल 120 आदिवासियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। बाद में गिरफ्तार किए गए लोगों में एक महिला आरोपी के साथ कुल संख्या 121 हो गई थी।

कोर्ट ने आदेश में ये कहा: पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि गिरफ्तारी के समय आरोपियों के पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया था और वे घात लगाकर हमला करने वाले स्थान पर मौजूद थे। आदेश में कहा गया है कि, “अभियोजन द्वारा दर्ज कोई सबूत या बयान यह साबित नहीं कर पाया कि आरोपी नक्सल विंग के सदस्य थे और अपराध में शामिल थे।

इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस: इस मामले में दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147, 148, 149, 120 (बी), 307, 302, 396, 397 के साथ आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम (एक्सप्लोसिव एक्ट) की धारा 3 और 5 रखी गई थी। इसके अलावा, चार्जशीट में छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम (CVJSA) और यूएपीए (UAPA) को भी जोड़ा गया था।

वकील ने कही ये बात: मानवाधिकार कार्यकर्ता और मामले में बचाव पक्ष के वकीलों में से एक बेला भाटिया ने कहा कि, “क्या राज्य पुलिस पर माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में आम ग्रामीणों को बलि का बकरा बनाने की आपराधिक साजिश का आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए? क्या राज्य उन्हें उनके बीते समय या कमाई की भरपाई करेगा?”

इतने आरोपी होंगे रिहा: पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने कहा कि अदालत के आदेश के अनुसार, कुल 113 आरोपियों को रिहा कर दिया जाएगा। जिनमें से 110 जगदलपुर केंद्रीय जेल और तीन दंतेवाड़ा जिला जेल में बंद हैं। उन्होंने कहा कि शेष आठ आरोपियों को रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि वे अन्य मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं।