पश्चिम बंगाल के स्कूल सर्विस कमीशन में ग्रुप ‘डी’ में नियुक्ति धांधली के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में जहां अदालत ने फिर से सीबीआई जांच (CBI Enquiry) के आदेश दिए तो वहीं खंडपीठ द्वारा बनाई गई जांच समिति को एकल पीठ ने भंग कर दिया। यह जांच समिति कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व जज रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में काम कर रही थी।
मंगलवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि ग्रुप डी मामले की जांच डीआईजी रैंक के अधिकारी करेंगे। साथ ही न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने मंगलवार को ग्रुप डी मामले में खंडपीठ के फैसले को रद्द कर दिया। साथ ही जांच समिति के कामकाज पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह समिति के काम से संतुष्ट नहीं थे। वहीं, कोर्ट ने सीबीआई को भी 4 हफ्ते के भीतर मामले पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
अदालत (Calcutta High Court) ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह बुधवार यानी 16 फरवरी सुबह 10 बजे तक मामले से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी जांच समिति के अध्यक्ष से इकट्ठा कर ले। क्योंकि उस वक्त सीबीआई के अलावा किसी को भी दफ्तर में अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही वादी को भी सीबीआई से जल्द संपर्क स्थापित करने को कहा गया है।
इस मामले में सुनवाई करते वक्त जांच समिति के रवैये से भी हाई कोर्ट नाराज दिखा। वहीं राज्य सरकार ने सीबीआई जांच को ख़ारिज करने की मांग के साथ नई जांच टीम का आग्रह किया था। ऐसे में एडवोकेट जनरल ने कोर्ट से कहा कि, वह मानते हैं कि अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया, जिसके लिए हमें खेद है; लेकिन सीबीआई के निर्देश पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने एडवोकेट जनरल की दलील को ठुकरा दिया।
वहीं, पीड़ित उम्मीदवारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने के अनुरोध पर सहमति जताई, लेकिन उन्होंने महाधिवक्ता द्वारा आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग का विरोध किया। उन्होंने पीठ को अवगत कराया कि यदि अवैध नियुक्तियां की गई हैं तो इसका पता लगाया जाए।
बता दें कि, पिछले हफ्ते, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने स्कूलों के संबंधित जिला निरीक्षकों को 573 उम्मीदवारों को कोई और वेतन नहीं देने का निर्देश दिया था, जिन्हें कथित तौर पर प्रायोजित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ‘ग्रुप-डी’ (गैर-शिक्षण कर्मचारी) के पद के लिए नियुक्त किया गया था।