आजकल देश में फिल्म कश्मीर फाइल्स को लेकर काफी चर्चा हो रही है। इसमें कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का दर्द दिखाया गया है, जो उन्होंने कई सालों पहले झेला था। वहीं, इस फिल्म में एक किरदार है जिसे लेकर लोगों में उत्सुकता है कि आखिर वह कौन है? हम बात कर रहे हैं आतंकी फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की। आजकल इसी बिट्टा कराटे का एक पुराना वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। तो आइए बताते हैं कि आखिर यह शख्स है कौन..?

बिट्टा कराटे का असली नाम फारुक अहमद डार है, जो कि जेकेएलएफ (JKLF) यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का आतंकी रहा। बताया जाता है कि फारुख अहमद डार तेज तर्रार कराटे प्लेयर था, इसलिए उसका नाम बिट्टा कराटे पड़ गया। कई हत्याओं को अंजाम देने वाला यही बिट्टा कराटे बाद में एक अलगाववादी नेता के रूप में सामने आया, जो बातचीत से मसला हल करने की बात करता था।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिट्टा कराटे ने पाकिस्तान में जाकर आतंकी ट्रेनिंग ली थी। सीमापार बने आतंकी कैंपों में हथियार चला सीखा और मार्शल आर्ट ट्रेनिंग भी ली थी। कई सालों के बाद वह वापस कश्मीर आया और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो गया। फिर धीरे-धीरे उसने कश्मीर में कत्लेआम शुरू कर दिया। बिट्टा कराटे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह स्थानीय प्रशासन से तंग आकर आतंकवादी बना।

बिट्टा कराटे आतंकी बनने के बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट में शामिल हुआ। फिर उसने लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू किया, जिसमें अधिकतर कश्मीरी पंडित थे। इस कत्लेआम के बाद साल 1990 में बिट्टा कराटे को अरेस्ट कर लिया गया। मीडिया के सामने बिट्टा कराटे ने 20 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम देने की बात स्वीकारी लेकिन अदालत में वह इन दावों से मुकर गया। फिर बिट्टा को सबूतों के अभाव में 2006 में टाडा अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।

बिट्टा को जमानत पर रिहा करने के दौरान अदालत ने टिप्पणी में कहा कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, लेकिन अभियोजन पक्ष ठोस सबूत देने में अक्षम रहा। जिस आरोपी को सजा मिलनी चाहिए, उसे जमानत पर रहा किया जा रहा है। जेल से बाहर आने के बाद बिट्टा कराटे ने फिर से जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ज्वाइन कर लिया। फिर एक अलगाववादी नेता के तौर पर खुद को सामने रखा।

वहीं, पुलवामा हमले के बाद बिट्टा को 2019 में NIA ने टेरर फंडिंग के आरोप में अरेस्ट कर लिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने जेकेएलएफ (JKLF) यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट को प्रतिबंधित कर दिया। फिर कई अलगाववादी नेताओं को देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में जेल भेज दिया गया था।