बिहार के मोतिहारी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को सन्न कर दिया है। पिता की हत्या में इंसाफ मिलने की देरी से परेशान 14 साल के बेटे ने कथित तौर पर पहले खुद को आग लगाई और फिर एक आवासीय इमारत की तीसरी मंजिल से कूद गया। आनन-फानन में उसे एक निजी क्लीनिक ले जाया गया, जहां लड़के की मौत हो गई। नाबालिग के पिता विपिन अग्रवाल आरटीआई कार्यकर्ता थे, जिनकी पिछले साल सितंबर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिपिन अग्रवाल (47) नाम के आरटीआई कार्यकर्ता की 24 सितंबर, 2021 को स्थानीय भू-माफिया का पर्दाफाश करने के लिए हत्या कर दी गई थी। इसी मामले में बिपिन अग्रवाल का बेटा रोहित अग्रवाल पूर्वी चंपारण के एसपी कुमार आशीष से मिलने गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी उसकी मुलाकात एसपी से नहीं हो पाई थी।
ऐसे में मृतक आरटीआई कार्यकर्ता के रोहित ने कथित तौर पर एसपी कार्यालय में धमकी दी थी कि अगर पुलिस ने उसे उसके पिता की हत्या के मामले में एक स्थानीय भाजपा नेता को गिरफ्तार करने का आश्वासन नहीं दिया तो वह आत्मदाह कर लेगा। रोहित के दादा विजय अग्रवाल ने कहा कि, ‘वह (रोहित) घर लौटने पर परेशान दिख रहा था। इससे पहले कि हम कुछ समझ पाते, वह बगल की इमारत की तीसरी मंजिल पर गया, खुद को आग लगा ली और कूद गया।’
रोहित ने जब यह खौफनाक कदम उठाया तो वह जमीन पर गिरने से पहले ही हाईटेंशन बिजली के तारों में फंस गया। इस कारण रोहित का शरीर बहुत ज्यादा झुलस गया, फिर तत्काल रोहित को एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया और शुक्रवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं, रोहित के दादा विजय अग्रवाल ने स्थानीय हरसिद्धि पुलिस पर आरोप लगाया कि पोते की मौत के बाद पुलिस उनके ऊपर अपने हिसाब से बयान दिलवाने के लिए दबाव बना रही है।
हालांकि, एसपी कुमार आशीष ने विजय अग्रवाल के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ‘जो कुछ भी हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन लड़के की मां ने हमें बताया कि वह गुरुवार शाम को एक छत से गिर गया था और बिजली के तारों के संपर्क में आने के बाद बिजली का करंट लग गया। हमने परिवार पर बयान बदलने के लिए दबाव नहीं डाला है।’
बिपिन अग्रवाल की हत्या पर उनके पिता विजय अग्रवाल ने कहा कि उनके बेटे की हत्या के लिए जिन 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें से आठ अभी भी फरार हैं। रोहित के दादा विजय अग्रवाल के मुताबिक, मामले में अन्य लोगों में से एक स्थानीय भाजपा नेता की भूमिका जांच के घेरे में है। जिन्हें पुलिस बचाने की कोशिश कर रही है और उसका नाम प्राथमिकी में नहीं है।
दरअसल, मृतक बिपिन अग्रवाल ने अपनी आरटीआई याचिकाओं के माध्यम से उजागर किया था कि हरसिद्धि में कई सालों से कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। इनमें से कुछ लोगों की पृष्ठभूमि राजनीतिक थी। सितंबर में मौत से पहले एक बार पहले भी बिपिन पर जानलेवा हमला किया गया था, जिसमें वह बाल-बाल बच गए थे।
बिपिन की मौत के बाद उनका सबसे बड़ा 14 वर्षीय बेटा न्याय के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहा था। हालांकि, मामले में बात करते हुए एसपी ने मीडिया को बताया है कि, “पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। हमने अब मामले को सीआईडी को स्थानांतरित करने की सिफारिश की है।”