बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां सभी पार्टियां कर रही हैं। किसी भी पार्टी ने इस बार दागियों या बाहुबलियों से परहेज नहीं किया है। अनंत सिंह से लेकर रीतलाल यादव तक कई दागी इस बार अलग-अलग पार्टियों से टिकट लेकर मैदान में हैं। आज हम जिस दागी प्रत्याशी की चर्चा कर रहे हैं उनका सबसे पहला परिचय यह है कि वो पूर्व नक्सली हैं और इस चुनाव में पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी हैं।

जेएपी (JAP) के इस नेता का नाम सुधीर कुमार वर्मा है जो गया जिले में गुरुआ विधानसभा सीट से ताल ठोंक रहे हैं। सुधीर कुमार वर्मा पहले माओवादी थे लेकिन बाद में मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश कर गए। इस बार उन्हें पप्पू यादव ने विधानसभा का टिकट दिया है। अब जरा वर्मा के खिलाफ चल रह आपराधिक मामलों की फेहरिस्त पर एक नजर डाल लेते हैं। सुधीर कुमार वर्मा पर जो मुकदमे दर्ज हैं उनमें से ज्यादातर जघन्य अपराध की श्रेणी में हैं।

सुधीर कुमार वर्मा के खिलाफ 37 मामले चल रहे हैं। सुधीर कुमार वर्मा पर एक समय 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के मुताबिक, वर्मा के खिलाफ जो मामले दर्ज हैं उनमें एक्सप्लोसिव सब्सस्टेंश एक्ट, हत्या के तहत आईपीसी की धारा 302 में केस और धारा 307 में केस दर्ज है। सुधीर कुमार वर्मा का एक नाम विनोद मरांडी भी है। मरांडी फिलहाल जमानत पर हैं और उन्होंने जेल से छूटने के बाद अभी हाल में अपना परचा भरा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सुधीर कुमार वर्मा ने साल 1999 में Maoist Communist Centre (MCC) ज्वायन किया था। हालांकि संगठन में वो खुद को साबित नहीं कर पाए और फिर अगस्त 2004 में वो Revolutionary Communist Centre (RCC) में शामिल हो गए। यह संगठन मगध प्रक्षेत्र औऱ झारखंड के कई इलाकों में रंगदारी मांगने समेत कई संगीन अपराधों में शामिल था।

साल 2009 में पुलिस ने सुधीर वर्मा को गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि ठोस सबूत ना होने की वजह से वो छूट गए। इसक बाद साल 2016 में पुलिस ने उनके मोबाइल फोन को ट्रैक कर उन्हें गया के विष्णुपद इलाके से गिरफ्तार किया था।

जब विनोद मरांडी पुलिस से छिपते फिर रहे थे तब वो धड़ाधड़ अपना मोबाइल नंबर बदलते रहते थे। हालांकि उन्होंने पहले कहा था कि अब वो हथियार छोड़ चुके हैं और मुख्यधारा की राजनीति में आ गए हैं। विनोद मरांडी की पत्नी सुनीता देवी गया जिले के दीहा पंचायत की मुखिया हैं।